कुछ दिनों पहले ही वर्ल्ड जीडीपी रैंकिंग 2025 लिस्ट जारी हुई थी जिसमें भारत ने 4.1 ट्रिलियन जीडीपी के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। भारत ने जीडीपी की रेस में जापान को पीछे छोड़ दिया है। इसके बाद से भारत को लेकर दुनियाभर के देशों का विचार बदल रहा है। इसी बीच अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा का भारत की जीडीपी को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य साल 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 28 से 35 ट्रिलियन डॉलर ले जाना है।
2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था
डीसी के वाशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में विनय मोहन क्वात्रा शामिल हुए। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर बात की। विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि हाल ही में आप लोगों ने भारत की 4.1 ट्रिलियन जीडीपी का उल्लेख किया। जापान अब भारत के पीछे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा आने वाले 5 सालों में भारत की जीडीपी को 5 ट्रिलियन तक ले जाने की बात कहते हैं। लेकिन भारत जिस लक्ष्य की तरफ काम कर रहा है वह इससे काफी बड़ा है। हमारा अंतिम लक्ष्य है 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 28 से 35 ट्रिलियन डॉलर ले जाना है। इसी के साथ अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी का जश्न मनाएंगे।
#WATCH | Washington, DC: India’s Ambassador to the US Vinay Mohan Kwatra, says “…You mentioned 4.1 trillion GDP that India touched recently. We now have Japan in our rearview. Prime Minister Modi has spoken about taking this to 5 trillion in the coming years, but the eventual… pic.twitter.com/Bu95QdEJGR
— ANI (@ANI) June 3, 2025
—विज्ञापन—
यह भी पढ़ें: शातिर निकले जेलेंस्की, इस्तांबुल वार्ता से पहले रूस पर हमला, अब भेजा समझौते का ज्ञापन
अर्थव्यवस्था में सिस्टमैटिक सस्टेनेबिलिटी
उन्होंने कहा कि अब जब भारत ये बात कर रहा है। इस पर अगर आप इसे किसी इन्वेस्टर पर्सपेक्टिव में रखते हैं तो किसी भी निवेशक के कैपिटल फ्लो के लिए इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटी सबसे पहली जरूरत में से एक होनी चाहिए। मान लीजिए कि आज भारत 4 ट्रिलियन का अपॉर्चुनिटी है। लेकिन आज वह 5, 10 और 30 ट्रिलियन का अपॉर्चुनिटी बनने की सोच रहा है। इसके लिए अर्थव्यवस्था किसी ऐसी चीज के साथ जोड़ना होगा जिसे निवेशक द्वारा काफी महत्व दिया जाता है। कोई भी निवेशक यह देखेगा कि क्या अर्थव्यवस्था में सिस्टमैटिक सस्टेनेबिलिटी है? और क्या अर्थव्यवस्था के विकास में भी यही सिस्टमैटिक सस्टेनेबिलिटी है?
Read More at hindi.news24online.com