Cancer Treatment: ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स और इच्नोस साइंसेज (Ichnos Sciences) की संयुक्त कंपनी इच्नोस ग्लेनमार्क इनोवेशन (IGI) ने कैंसर की एक जटिल किस्म मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) के इलाज में बड़ी सफलता हासिल की है। शुरुआती ट्रायल (early-stage trial) में IGI की नई दवा ISB 2001 ने उम्मीद से बेहतर नतीजे दिए हैं।
इस ट्रायल में ऐसे 35 मरीजों को शामिल किया गया, जिन पर पहले छह बार इलाज हो चुका था। लेकिन, बीमारी दोबारा लौट आई थी या उस पर दवाओं का असर नहीं हो रहा था। इस नई दवा को लेने वाले करीब 79% मरीजों (यानी 10 में से 8) को फायदा मिला यानी उनके कैंसर के लक्षण घटे। इनमें से तीन में से एक मरीज को लगभग पूरा या पूरा फायदा हुआ।
ISB 2001 क्या है?
ISB 2001 एक ट्राइ-स्पेसफिक एंटीबॉडी (Trispecific Antibody) है, यानी यह दवा शरीर की इम्यून सिस्टम (immune system) को कैंसर से लड़ने के लिए तीन दिशाओं से सक्रिय करती है। यह न सिर्फ कैंसर सेल्स को पहचानती है, बल्कि शरीर के T-cells को भी एक्टिव करती है जो ट्यूमर को खत्म करने में मदद करते हैं।
साइड इफेक्ट्स कम
ट्रायल के दौरान दवा के साइड इफेक्ट्स ज्यादा गंभीर नहीं थे। ज्यादातर मरीजों को पहले डोज के समय हल्के इम्यून रिएक्शन हुए। लेकिन, न तो किसी मरीज को दवा बंद करनी पड़ी और न ही किसी को गंभीर न्यूरोलॉजिकल (neurological) या संक्रमण (infection) से जुड़ी परेशानी हुई।
एक्सपर्ट की क्या राय है?
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस स्टडी से जुड़े डॉक्टर हैंग क्वाच (Hang Quach) ने कहा, “ये दवा उन मरीजों के लिए नई उम्मीद है जिनके पास अब कोई इलाज नहीं बचा था। इसके नतीजे वाकई शानदार हैं।”
FDA ने दी ‘फास्ट ट्रैक’ मान्यता
अमेरिका की दवा नियामक संस्था FDA (Food and Drug Administration) ने इस दवा को पहले ही फास्ट ट्रैक स्टेटस दे दिया है। यानी इस दवा के अप्रूवल की प्रक्रिया तेज की जाएगी क्योंकि ये एक बेहद जरूरी इलाज की जरूरत को पूरा कर सकती है।
अब ISB 2001 का अगला चरण (next phase trial) शुरू किया जा रहा है, जिसमें इसे और ज्यादा मरीजों पर आजमाया जाएगा। इसके लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जल्द ही यूरोप में भी ट्रायल होंगे।
मल्टीपल मायलोमा क्या होता है?
यह एक तरह का ब्लड कैंसर है, जो बोन मैरो (bone marrow) में मौजूद प्लाज्मा सेल्स (plasma cells) को प्रभावित करता है। इलाज के बाद भी यह बीमारी दोबारा लौट सकती है और कई मामलों में दवाएं असर नहीं करतीं। ऐसे में ISB 2001 जैसे नए इलाज उम्मीद की किरण बन सकते हैं।
अगर आगे के ट्रायल भी सफल रहे, तो ISB 2001 उन हजारों मरीजों की जिंदगी बदल सकती है, जिनके पास अब इलाज के सीमित विकल्प बचे हैं।
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