Kalawa Rules in Hindi: सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए कलावा जिसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है, आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. ये रक्षा सूत्र नकारात्मक शक्तियों से बचाने के साथ आशीर्वाद लाता है. कलावा आपकी ऊर्जा की भी रक्षा करता है. लेकिन कुछ समय तक ही. जी हां हाथों में लाल रंग का कलावा कुछ समय तक ही प्रभावी होता है. प्राचीन मान्यताओं की मानें तो कलावा कम समय के लिए ही हमारी ऊर्जा की रक्षा करता है. कुछ समय बाद जब इसका प्रभाव खत्म हो जाता है तो ये नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर देता है.
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कलावा पहनने के 11 दिनों तक ही ये दिव्य ऊर्जा से भरा होता है, जो नकारात्मक शक्तियों से हमारा बचाव करता है. अगले 7 दिन बाद ये सिर्फ एक सामान्य धागा बन जाता है, जो धीरे धीरे नकारात्मक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसके बाद भी अगर अपने ये कलावा पहन रखा है तो ये आपके आभा (Aura) को गिराते चला जाता है.
लंबे समय तक क्यों नहीं पहनना चाहिए कलावा?
लंबे समय तक कलावा पहनने का मतलब है कि हर दिन एक ही कपड़ा पहनना. पहले दिन जिस तरह कपड़े ताजे और साफ लगते हैं, धीरे धीरे दिन बीतने के साथ वो गंदे, पुराने और बासी हो जाते हैं. जिसमें से बाद में बदबू भी आती है. ठीक इसी तरह लंबे समय तक हाथ में कलावा पहनने से ये आपकी ऊर्जा को क्षीण कर देता है और नकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करता है. जिससे आपका Aura उदासीन होते चला जाता है. इसलिए कलावा को ज्यादा से ज्यादा 20-22 दिन के अंदर उतार देना चाहिए.
ऐसे में पुराने कलावा को हाथ से उतारने के बाद उसे कहीं भी फेंकना नहीं चाहिए. उसे कूड़ेदान में फेंकने की बजाए जला दें या तो बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें. वहीं जब नया कलावा बांधने जाए तो केवल मंगलवार या गुरुवार को ही बांधे. कलावा बांधने के लिए ये दिन काफी शुभ माना जाता है. कलावा बांधते समय इस बात का हमेशा ध्यान दें कि कलावा साफ हो. कलावा बांधते समय गायत्री मंत्र का उच्चारण करें. कलावा बांधना सनातन धर्म की परंपरा है.
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