Explained: चीन के इस कदम से क्यों घबरा रहीं भारत की EV कंपनियां? बजाज ऑटो-TVS मोटर ने दी बड़ी चेतावनी – how china export crackdown on rare earth magnets could stall india two-wheeler giants

China Rare Earth Magnet Curb: चीन से भारत की कुछ कंपनियों के लिए बुरी खबर आ रही है। खासतौर से इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए। कोरोना काल के बाद शेयर बाजार में जिन थीम में सबसे अधिक पैसा बनता हुआ देखा गया था, उसमें से एक थीम इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी EV थी। लेकिन अब भारत के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेक्टर की सप्लाई चेन में चीन एक भारी उथल-पुथल मचाने के लिए तैयार दिख रहा है। चीन के इस कदम के खिलाफ पहले बजाज ऑटो और अब TVS मोटर कंपनी ने चिंता जताई है। बजाज ऑटो ने तो यहां तक कह दिया है कि इस कदम से भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल गाड़ियों को उत्पादन भी बंद हो सकता है।

चीन की यह नई पॉलिसी क्या है?

पूरी दुनिया का करीब 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट्स, चीन के पास है। अभी तक भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देश चीन से ही इसे आयात करते थे। यानी खरीदते थे। लेकिन चीन ने अप्रैल से रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर नए और सख्त नियम लागू कर दिए हैं। इसके तहत चीन की कोई भी कंपनी अब तक रेयर अर्थ मैग्नेट्स को नहीं बेच सकती, जब तक उसे चीन की सरकार से लाइसेंस और खरीदार से उसका एंड-यूज सर्टिफिकेट न मिल जाए।

इसका नतीजा ये हुआ कि भारत के लिए रवाना कई कंटेनर चीन के पोर्ट्स पर अटके हुए हैं, जिनकी क्लीयरेंस में देरी हो रही है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कई यूरोपीय कंपनियों को कुछ मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन भारतीय कंपनियों को अभी तक कोई हरी झंडी नहीं मिली है। इस बीच इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि उनके पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का बचा मौजूदा स्टॉक जून के पहले पखवाड़े तक खत्म हो सकता है और उसके बाद क्राइसिस देखने को मिल सकती है।

ये रेयर अर्थ मैग्नेट्स इतने जरूरी क्यों हैं?

दरअसल इलेक्ट्रिक और पारंपरिक दोनों तरह की गाड़ियों को बनाने में एक खास तरह के रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल होता है, जिसका नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन। यह एक दुर्लभ चुबंक है नियोडिमियम (Nd), आयरन (Fe), और बोरॉन (B) के मिश्रण से बना होता है। गाड़ियों के मोटर से लेकर ब्रेक्स, वाइपर और ऑडियो सिस्टम तक को बनाने में इस रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल बोता है। बिना इन मैग्नेट्स के पूरी पूरी मैन्युफैक्चरिंग लाइन ठप हो सकती है।

भारत ने वित्त वर्ष 2024 में करीब 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स इंपोर्ट किया था। लगभग ये पूरा स्टॉक चीन से आया था। वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 700 टन तक रहने का अनुमान है। सबसे अहम बात यह है कि इतने अहम मैटेरियल का बड़े स्तर कोई विकल्प फिलहाल उपलब्ध नहीं है। इसके चलते भारतीय इलेक्ट्रिक-व्हीकल कंपनियों के उत्पादन प्रक्रिया को लेकर जोखिम बढ़ जाता है।

सरकार ने चीन पर निर्भरता घटाने की शुरू की तैयारी

इस पूरे संकट को देखते हुए भारत सरकार ने लंबी अवधि में चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए घरेलू मैग्नेट के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मिनिस्ट्री ऑफ हैवी इंडस्ट्रीज ने 3 जून को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन से जुड़े सपोर्ट फ्रेमवर्क, इनसेंटिव्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फैसला लिया जाएगा।

ऑटो सेक्टर के दिग्गजों का क्या कहना है?

TVS मोटर के एमडी सुदर्शन वेणु ने हमारे सहयोगी CNBC-TV18 से बातचीत में कहा, “अगर हालात नहीं बदले, तो जून या जुलाई से हमारे प्रोडक्शन पर असर दिखने लगेगा। खासतौर पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।” उनका कहना है कि शॉर्ट-टर्म से लेकर मीडियम टर्म तक, इसके उत्पादन रूक सकता है और यहां तक ​​कि कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

सुदर्शन वेणु ने कहा कि कंपनी इस स्थिति से निपटने के लिए लगातार दूसरे विकल्पों की तलाश कर रही है, लेकिन आगे चलकर कीमतों की बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने फिर से दोहराया कि भारत को अपनी EV सप्लाई चेन को आत्मनिर्भर बनाना ही होगा।

फिलहाल करीब 30 आवेदन भारतीय स्तर पर क्लियर हो चुके हैं और अब चीनी अधिकारियों की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन जब तक चीन से अंतिम हरी झंडी नहीं मिलती, तब तक भारतीय कंपनियों के पास समय कम और चिंता ज्यादा है।

TVS मोटर से पहले बजाज ऑटो ने भी अपनी चौथी तिमाही के नतीजे में इस मुद्दे को “dark cloud on the horizon” यानी “आने वाला संकट” के तौर पर जिक्र किया है। बजाज ऑटो ने कहा कि अगर समय रहते समाधान नहीं निकला, तो अगले महीने से उनके उत्पादन पर असर पड़ना तय है।

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