ऑपरेशन सिंदूर पर PAK सेना के जनरल मिर्जा की गीदड़भभकी, बोले- ‘तबाही की वजह बन जाएंगे ये मुद्दे’

India Pakistan Tension: ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बाद भी असीम मुनीर की सेना का बढ़बोलापन खत्म होता नहीं दिख रहा. पाकिस्तान ने जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने गीदड़भभकी देते हुए कहा कि तनाव और भी बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट के बजाय संघर्ष समाधान की ओर बढ़ा जाना चाहिए नहीं तो इसका अभाव विनाशकारी हो सकता है.  

संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल मिर्जा ने शनिवार (31 मई, 2025) की शाम सिंगापुर में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की ओर से आयोजित सालाना शांगरी-ला डायलॉग 2025 में यह टिप्पणी की. क्षेत्रीय संकट-प्रबंधन तंत्र टाइटल वाले इस पैनल डिस्कशन के दौरान जनरल मिर्जा ने कहा, “संघर्ष प्रबंधन से आगे बढ़कर संघर्ष समाधान की ओर बढ़ना जरूरी हो गया है. इससे स्थायी शांति और क्राइसिस मैनेजमेंट सुनिश्चित होगा.”

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तानी जनरल ने क्या कहा?

इसके बाद उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कश्मीर का जल्द से जल्द समाधान जरूरी है. पाकिस्तानी जनरल ने कहा, भारतीय नीतियों और राजनीति की अतिवादी मानसिकता को देखते हुए, संकट प्रबंधन तंत्र की अनुपस्थिति वैश्विक शक्तियों को हस्तक्षेप करने और दुश्मनी को खत्म करने के लिए जरूरी समय नहीं दे सकती है. 

‘दबाए गए मुद्दे हमेशा के लिए मैनेज नहीं कर सकते’

उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई संकट नहीं होता है तो कश्मीर पर कभी चर्चा नहीं होती है और जैसा कि हम हमेशा कहते हैं कि कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप कश्मीर विवाद का समाधान ही कई मुद्दों का समाधान करेगा. पाकिस्तान और भारत के बीच का मुख्य मुद्दा कश्मीर है.” उन्होंने कहा कि जब तक देश संघर्ष समाधान में एंटर नहीं करते, मुद्दे हमेशा उभरेंगे. पाकिस्तानी जनरल ने कहा, “संकट से लड़ने की तुलना में संकट की रोकथाम बेहतर है. दबाए गए विवाद, चाहे वे क्षेत्रीय हों या वैचारिक, अनिश्चित काल तक मैनेज नहीं किए जा सकते.”

‘इस बार मामला इंटरनेशनल बॉर्डर तक पहुंच गया’

जनरल ने आगे कहा कि सैन्य संघर्ष के बाद युद्ध की सीमा खतरनाक रूप से कम हो गई है, जिसका मतलब है कि दोनों पक्षों के लिए अधिक जोखिम है, न केवल पीओके में बल्कि पूरे भारत और पूरे पाकिस्तान में. जनरल मिर्जा ने बताया कि भारत के साथ 1965 और 1971 के युद्ध हमेशा पीओके तक ही सीमित थे लेकिन इस बार, यह उससे आगे बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक आ गया है.

‘हस्तक्षेप से पहले ही विनाश हो चुका होगा’

पाकिस्तानी जनरल ने कहा, “इस सीमा को खतरनाक स्तर तक कम करने से, अगर अगली बार ऐसा संघर्ष होता है और शहरों को पहले निशाना बनाया जाता है तो एक मौका हो सकता है, एक संभावना हो सकती है कि प्रतिबंधित या संकुचित समय सीमा की वजह से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप से पहले ही क्षति और विनाश हो चुका होगा.” उन्होंने कहा, “अगर कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं करता तो यह अगले स्तर तक चला गया होता.”

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