रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में रोजाना नए हमले हो रहे हैं। 1 जून को यूक्रेन ने दावा किया कि उसने रूस के वायुसैनिक अड्डों पर हमला करके 40 से अधिक बम बरसाने वाले विमानों को ध्वस्त कर दिया है। वहीं इस बीच यूक्रेनी कमांडर ने इस्तीफा दे दिया। आखिर इस इस्तीफे के पीछे की वजह क्या है? रूस के साथ चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेनी कमांडर ने इस्तीफा क्यों दिया?
12 सैनिकों की मौत के बाद कमांडर का इस्तीफा
यूक्रेन ने रविवार को बताया गया कि सेना के प्रशिक्षण क्षेत्र में रूसी मिसाइल से हमला किया गया, इस हमाले में कम से कम 12 सैनिक मारे गए और बड़ी संख्या में सैनिक घायल हुए हैं। यूक्रेनी सेना ने अपने इस नुकसान की हामी भरी और कहा कि सैनिक किसी “सामूहिक सभा” में भाग नहीं ले रहे थे और हमले के दौरान अधिकांश सैनिक अपने आश्रय में थे।
अपने एक बयान में सेना की तरफ से कहा गया कि 1 जून को दुश्मन (रूस) ने यूक्रेनी सेना की प्रशिक्षण इकाइयों में से एक के स्थान पर मिसाइल हमला किया। स्थानीय समयानुसार दोपहर 12:50 बजे तक 12 लोगों के मारे जाने और 60 से अधिक लोगों के घायल होने की जानकारी है।” हालांकि यूक्रेनी सेना ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह हमला किस क्षेत्र में हुआ था।
❗️ Commander of the Land Forces of Ukraine, General Mykhailo Drapaty, resigned due to the Russian strike on the location of the Ukrainian military
—विज्ञापन—“This is a conscious step, dictated by my personal sense of responsibility for the tragedy at the 239th training ground, as a result… pic.twitter.com/r5DVIahwww
— 🪖MilitaryNewsUA🇺🇦 (@front_ukrainian) June 1, 2025
हमले के बाद यूक्रेनी कमांडर ने दिया इस्तीफा
यूक्रेन के थल सेना कमांडर मिखाइलो ड्रापटी ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वह ट्रेनिंग के दौरानरूसी हमले में कम से कम 12 सैनिकों की मौत के लिए जिम्मेदारी महसूस करते हैं। यह मेरे लिए व्यतिगत त्रासदी है और जिम्मेदार की भावना जानबूझकर उठाया गया कदम है।” इसके साथ ही यूक्रेनी सेना की तरफ साफ कर दिया गया है कि जवानों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त जवाबदेही तय की जाएगी।
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वहीं रूस पर किए गए ड्रोन हमले को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसबीयू) के सूत्रों मे बताया कि इस हमले को अंजाम देने में डेढ़ साल का समय लगा और इसकी देखरेख व्यक्तिगत रूप से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने की थी।
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