पोखरण में अब किसका अभ्यास कर रही भारतीय सेना? ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये है बेहद खास

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना आमने-सामने आ गई थीं। दोनों देश युद्ध के मुहाने पर खड़े थे। स्थिति युद्ध जैसी बन गई थी, लेकिन इसी बीच सीजफायर (संघर्षविराम) का ऐलान कर दिया गया। पाकिस्तान के साथ लड़ाई, सीजफायर और दोनों देशों को हुए नुकसान को लेकर जारी विवाद के बीच भारतीय सेना ने पोखरण, बबीना और जोशीमठ समेत कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर परीक्षण किए हैं। आखिर यह परीक्षण इतने खास क्यों हैं?

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, भारतीय सेना ने पोखरण, बबीना, जोशीमठ, आगरा और गोपालपुर सहित देश के कई प्रमुख स्थानों पर नेक्स्ट जनरेशन डिफेंस टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर क्षेत्र परीक्षण किया है। ये प्रदर्शन युद्ध जैसी परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में किए जा रहे हैं, ताकि यह जांचा जा सके कि ये हथियार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) प्रणालियां जरूरत पड़ने पर कितनी कारगर साबित होंगी।

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सबसे खास बात यह है कि इस परीक्षण में स्वदेशी हथियारों और प्रणालियों को परखा जा रहा है। यह ट्रायल ऐसी स्थिति उत्पन्न करके किया जा रहा है, मानो दुश्मन ने हमला कर दिया हो और अब आत्मरक्षा करते हुए उसे खदेड़ना हो। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी 27 मई को बबीना फील्ड फायरिंग रेंज पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने चल रहे परीक्षणों की समीक्षा की और जवानों तथा अधिकारियों से बातचीत भी की।

किन हथियारों और प्रणालियों का परीक्षण हो रहा है?

  • मानवरहित हवाई प्रणालियां (UAS)
  • UAV लॉन्च्ड प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन (ULPGM)
  • रनवे-स्वतंत्र RPAS
  • काउंटर-UAS और घूमते हुए हथियार
  • विशिष्ट वर्टिकल लॉन्च (SVL) ड्रोन
  • सटीक बहु युद्ध सामग्री वितरण प्रणालियाँ
  • एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS)
  • निम्न-स्तरीय हल्के वजन वाले रडार
  • अगली पीढ़ी के VSHORADS IR सिस्टम
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) प्लेटफॉर्म

क्यों महत्वपूर्ण है ये परीक्षण?

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं पर बल देते हुए कहा कि भारत ने आकाश मिसाइल जैसी स्वदेशी प्रणालियों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है और एक मजबूत वायु रक्षा नेटवर्किंग ढांचा खड़ा किया है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने बाहरी सहायता के बिना देशभर के विभिन्न स्रोतों भारतीय और विदेश से प्राप्त रडार प्रणालियों को एक सुसंगत नेटवर्क में एकीकृत किया है, जो हालिया ऑपरेशनों के दौरान भारत की सुरक्षा के लिए बेहद अहम साबित हुआ है।

 

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