फिर भारत का भरोसेमंद साथी बना सिंगापुर, 2024-25 में 15 अरब डॉलर FDI के साथ पहुंचा टॉप पर FDI in 2024-25: भारत को 2024-25 में सिंगापुर से 14.94 अरब डॉलर का एफडीआई मिला, जो लगातार सातवां वर्ष है जब वह टॉप निवेशक बना. जानिए किन देशों ने भारत में निवेश किया और बढ़ती विदेशी पूंजी का क्या असर पड़ेगा देश की अर्थव्यवस्था पर. एप में देखें

FDI in 2024-25: भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मोर्चे पर सिंगापुर लगातार सातवें साल भी सबसे बड़ा निवेशक देश बनकर उभरा है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को सिंगापुर से कुल 14.94 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ, जो पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है. यह आंकड़ा 2023-24 में आए 11.77 अरब डॉलर से करीब 27 प्रतिशत ज्यादा है.

भारत सरकार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में कुल FDI प्रवाह 14 प्रतिशत बढ़कर 81.04 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है. इस बढ़े हुए निवेश में सिंगापुर का योगदान लगभग 19 प्रतिशत रहा, जो भारत की अर्थव्यवस्था में उसकी अहम भूमिका को दर्शाता है.

सात वर्षों से टॉप पर सिंगापुर

सिंगापुर वित्त वर्ष 2018-19 से भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा सोर्स बना हुआ है. इससे पहले 2017-18 में मॉरीशस टॉप निवेशक था. लेकिन टैक्स संधियों और वैश्विक कर नीतियों में बदलाव के बाद मॉरीशस की भूमिका में गिरावट देखी गई, जबकि सिंगापुर की स्थिति लगातार मजबूत होती गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि सिंगापुर की मजबूत नियामक प्रणाली, टैक्स फ्रेंडली माहौल और भारत के साथ द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों ने इस स्थिति को संभव बनाया है.

बाकि देशों का क्या है हाल?

सिंगापुर के बाद मॉरीशस (8.34 अरब डॉलर) भारत में दूसरा सबसे बड़ा एफडीआई स्रोत रहा.

इसके बाद अन्य प्रमुख निवेशक देशों में शामिल हैं:

  • अमेरिका: 5.45 अरब डॉलर
  • नीदरलैंड: 4.62 अरब डॉलर
  • संयुक्त अरब अमीरात: 3.12 अरब डॉलर
  • जापान: 2.47 अरब डॉलर
  • साइप्रस: 1.2 अरब डॉलर
  • ब्रिटेन: 795 मिलियन डॉलर
  • जर्मनी: 469 मिलियन डॉलर
  • केमैन आइलैंड: 371 मिलियन डॉलर

एफडीआई वृद्धि का क्या मतलब है?

एफडीआई में इस वृद्धि को भारत की मजबूत आर्थिक नींव, नीतिगत स्थिरता और व्यापक सुधार कार्यक्रमों का परिणाम माना जा रहा है. ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ जैसी सरकारी पहलों ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है. साथ ही, भारत का विशाल उपभोक्ता बाजार, डिजिटल अवसंरचना, और स्टार्टअप इकोसिस्टम भी विदेशी पूंजी के लिए बड़ा आकर्षण बनकर उभरा है.

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