Indian Stock Market Tension: भारतीय शेयर बाजारों ने बीते सप्ताह का समापन सतर्कता और मिश्रित संकेतों के साथ किया. यह लगातार दूसरा सप्ताह था जब बाजार कंसोलिडेशन मोड में नजर आए. वैश्विक व्यापार तनाव, अमेरिकी नीतियों की अनिश्चितता और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की आगामी मौद्रिक नीति निर्णय को लेकर निवेशकों में सतर्कता बनी रही, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव देखा गया और सप्ताह का अंत लाल निशान में हुआ.
शुक्रवार को निफ्टी 24,750.70 पर और सेंसेक्स 81,451.01 पर बंद हुआ. पूरे सप्ताह निवेशकों ने सावधानीपूर्वक कदम बढ़ाए क्योंकि वैश्विक बाजारों से मिले-जुले संकेत मिल रहे थे. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले टैरिफ नीति को लेकर अनिश्चितता, बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव और एफआईआई फ्लो ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया.
एक्सपर्ट की क्या है राय?
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च) अजीत मिश्रा के अनुसार, घरेलू संकेतों में जैसे कि RBI द्वारा रिकॉर्ड लाभांश ट्रांसफर और मानसून पर सकारात्मक अपडेट ने शुरुआत में आशावाद पैदा किया था, लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं ने उस उत्साह को सीमित कर दिया.
सप्ताह के दौरान सेक्टोरल प्रदर्शन भी मिश्रित रहा. रियल एस्टेट सेक्टर ने लगातार तीसरे सप्ताह बढ़त बनाई, जबकि बैंकिंग और एनर्जी सेक्टर भी सकारात्मक रहे. इसके उलट, एफएमसीजी, ऑटो और मेटल सेक्टर दबाव में नजर आए और प्रमुख पिछड़े सेक्टरों में शामिल रहे.
हालांकि ब्रॉडर मार्केट ने सकारात्मक प्रदर्शन किया. मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स दोनों में करीब 1.5% की बढ़त देखने को मिली, जो निवेशकों के मजबूत रुझान का संकेत देता है, खासकर उन शेयरों में जिनका बाजार पूंजीकरण कम है.
इस एक नीति ने बढ़ाई टेंशन
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि वैश्विक व्यापार तनाव, विशेष रूप से अमेरिका की “रेसिप्रोकल ट्रेड” नीतियों में अस्थायी विराम और उनके दोबारा लागू होने की संभावना, बाजार में व्यापक आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर हालांकि हालात अनुकूल हैं जैसे 7.4% की GDP वृद्धि, स्थिर महंगाई और सामान्य मानसून का अनुमान जो गिरावट को सीमित कर सकते हैं.
6 जून को तय होगी आगे की चाल
निवेशकों की निगाह अब 6 जून को होने वाली RBI की मौद्रिक नीति बैठक पर है. बाजार को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक 25 बेसिस पॉइंट की दर में कटौती कर सकता है, जिससे ब्याज दरों पर निर्भर सेक्टरों जैसे ऑटो, रियल एस्टेट और बैंकिंग को बल मिल सकता है.
इसके साथ ही, जून के पहले सप्ताह से ऑटो सेल्स डेटा, हाई-फ्रीक्वेंसी आर्थिक संकेतक, मानसून की प्रगति और एफआईआई का निवेश रुख भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे. वैश्विक स्तर पर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और चीन-अमेरिका व्यापार वार्ता से जुड़ी खबरें भी निवेशकों की भावना को प्रभावित करती रहेंगी.
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