<p style="text-align: justify;">पैरा छूना यह सिर्फ परंपरा नहीं है बल्कि एक ऊर्जा विज्ञान भी है. जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत पहले ही समझ लिया था. भारतीय संस्कृति में बड़ों को चरण स्पर्श करना एक आम परंपरा है.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन ये एक रहस्यमय और ऊर्जा प्रदान करने वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है. कहने के लिए पैरे छूना विनम्रता का प्रतीक है, लेकिन यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, संस्कारों और आशीर्वाद को भी सुनिश्चित करती है. कैसे आइए जानते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पैरे छूने को लेकर क्या कहते हैं शास्त्र</strong></p>
<ol style="text-align: justify;">
<li><strong>एनर्जी का स्थानांतरण (Transfer of Energy):</strong> बृहत्पाराशर होरा शास्त्र और गरुड़ पुराण में वर्णन मिलता है कि जब कोई श्रद्धापूर्वक किसी ज्ञानी या वृद्ध के चरण स्पर्श करता है, तो उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह ऊर्जा उसके चित्त को शांत करती है और उसकी आत्मा को सात्विक बनाती है.</li>
<li><strong>कर्मशुद्धि और संस्कार परिपुष्टि:</strong> मनुस्मृति में कहा गया है कि गुरुजन या वृद्ध का आशीर्वाद व्यक्ति के पापों का नाश करता है और शुभ संस्कारों को मजबूत करता है. पैरों को स्पर्श करना विनम्रता की निशानी है जो अहंकार को नष्ट करता है.</li>
<li><strong>चेतना का जागरण:</strong> जब कोई व्यक्ति श्रद्धा से चरण स्पर्श करता है, तो उसकी मस्तिष्कीय तरंगें (Brain Waves) गुरू की ऊर्जा से टकराती हैं और जिससे चित्त की जागरूकता बढ़ती है. यह क्रिया आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोलती है.</li>
<li><strong>गुरुत्व का स्वीकार और आत्मिक समर्पण:</strong> उपनिषदों की मानें तो चरण स्पर्श वास्तव में आत्मा का आत्मा के समक्ष समर्पण है. यह क्रिया व्यक्ति को गुरु तत्व से जोड़ती है, जो मोक्ष मार्ग में प्रवेश की कुंजी है.</li>
</ol>
<p style="text-align: justify;"><strong>महाभारत: अर्जुन जब श्रीकृष्ण को चरण स्पर्श करते हैं </strong><br />महाभारत, भीष्मपर्व, अध्याय 11-12 जब भगवद्गीता का प्रारंभ होता है तो एक प्रसंग आता है जिसमे जब अर्जुन मोहवश युद्ध न करने की इच्छा व्यक्त करते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें ज्ञान देते हैं. गीता के ज्ञान के बाद अर्जुन <em><strong>’करिष्ये वचनं तव'</strong></em> कहकर पूरी श्रद्धा प्रकट करता है, जो चरणों में नमन का प्रतीत है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong><em>नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत।</em></strong><br /><strong><em>स्थितोऽस्मि गतसंदेहः करिष्ये वचनं तव॥</em></strong></p>
<p style="text-align: justify;">“हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया है, मुझे स्मृति (स्वधर्म और आत्मस्वरूप की पहचान) प्राप्त हो गई है। अब मैं स्थिर चित्त वाला और संदेह-रहित हूँ। मैं अब आपके आदेश का पालन करूंगा.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ज्योतिष क्या कहता है</strong><br />ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चरण स्पर्श करने से शनि, गुरु और चंद्रमा की शुभता आती है. शनि अनुशासन और विनम्रता का ग्रह है, गुरु ज्ञान और चंद्रमा मानसिक शांति का.</p>
<p style="text-align: justify;">इन तीनों की कृपा जीवन में संतुलन, बुद्धि और सौभाग्य लाती है. चांडोग्य उपनिषद और नारद संहिता में भी पैर छूने को सकारात्मक रहने की उत्तम प्रक्रिया से जोड़कर देखा गया है.</p>
Read More at www.abplive.com