पाकिस्तान ने किया हिंदू महिला के “सिंदूर का सौदा”, विवाहिता का अपहरण कर मुस्लिम से कराया निकाह

पाकिस्तानी हिंदू महिलाएं (प्रतीकात्मक)
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पाकिस्तानी हिंदू महिलाएं (प्रतीकात्मक)

कराची: भारत के ”ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा है। पाकिस्तान ने एक बार फिर एक हिंदू महिला के सिंदूर का सौदा कर डाला है। मामला पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जुड़ा है। सूचना के अनुसार अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की एक महिला का अपहरण कर उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराने और फिर मुस्लिम युवक से ताकत के बल पर विवाह कराने का मामला सामने आया है। पीड़िता के परिवार ने दावा किया है कि महिला को बिना उसकी इच्छा के अपहरण कर एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया गया।

यह घटना दक्षिणी सिंध प्रांत के मीरपुरखास जिले के दिघरी क्षेत्र की है, जहां से महिला को कथित तौर पर अगवा करके इस वारदात को अंजाम दिया गया। पीड़ित महिला के पति और चार बच्चों ने बुधवार को इस मामले को लेकर आवाज उठाई और सरकार तथा प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

NGO ने पुलिस पर लगाया लापरवाही का आरोप

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए कार्यरत एक प्रमुख गैर सरकारी संगठन ‘दरावर इत्तेहाद पाकिस्तान’ के प्रमुख शिवा काछी ने बताया कि “महिला का अपहरण किया गया, उसे जबरन इस्लाम कबूल कराया गया और फिर शहबाज खशखेली नामक मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी करा दी गई।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने अब तक इस मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की है और पीड़ित परिवार को कोई सहयोग नहीं मिल रहा। लिहाजा “हम अब अदालत का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं।” 

पति ने सुनाई आपबीती

महिला के पति ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पिछले सप्ताह शहबाज खशखेली और उसके सहयोगियों ने मेरी पत्नी को हमारे घर के पास से जबरन उठा लिया। दो दिन बाद वे उसे एक धार्मिक स्थल पर ले गए, जहां उसका धर्म परिवर्तन करवाया गया। फिर, बिना उसकी सहमति के उसका निकाह खशखेली से करा दिया गया।” पति ने सवाल उठाया, “क्या पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ यही न्याय होता है? क्या हमारी महिलाओं की कोई इज्जत नहीं है?”

अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल

पाकिस्तान में हुई यह घटना हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा, स्वतंत्रता और धार्मिक अधिकारों पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। मानवाधिकार संगठनों ने लंबे समय से आरोप लगाया है कि देश में नाबालिग लड़कियों और महिलाओं का जबरन धर्मांतरण एक बढ़ती हुई समस्या है, जिसमें अक्सर स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता भी देखने को मिलती है। इन अपराधियों को पुलिस-प्रशासन का समर्थन हासिल होता है। (भाषा)

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