SEBI की पूर्व प्रमुख माधाबी पुरी बुच को बड़ी राहत, लोकपाल ने दी क्लीन चिट, कहा- ‘बेबुनियादी आरोप लगाए गए थे’ मधाबी पुरी बुच को हिंडनबर्ग-अडानी मामले से जुड़े आरोपों में बड़ी राहत मिली है. भारत के लोकपाल ने उनके खिलाफ दायर की गई सभी शिकायतों को खारिज कर दिया है. लोकपाल ने क्लीन चिट देते हुए कहा है कि उन पर ‘बिना आधार और सबूत के’ आरोप लगाए गए थे. एप में देखें

SEBI की पूर्व चेयरपर्सन मधाबी पुरी बुच को हिंडनबर्ग-अडानी मामले से जुड़े आरोपों में बड़ी राहत मिली है. भारत के लोकपाल ने उनके खिलाफ दायर की गई सभी शिकायतों को खारिज कर दिया है. लोकपाल ने क्लीन चिट देते हुए कहा है कि उन पर ‘बिना आधार और सबूत के’ आरोप लगाए गए थे. लोकपाल ने यह आरोप 28 मई को खारिज किए हैं.

लोकपाल ने कहा कि माधाबी पुरी के खिलाफ शिकायतें अटकलों और अनुमान पर आधारित थीं. उनके खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत पेश नहीं किया गया. ऐसे में उनके खिलाफ मिल रही शिकायतें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत जांच लायक नहीं पाई गईं.

किन आरोपों की हुई थी जांच?

लोकपाल ने कुल 5 प्रमुख आरोपों की जांच की थी, जिसके बाद यह फैसला सुनाया है. लोकपाल ने कहा, “इन आरोपों की जांच में पाया गया कि ये बेबुनियाद, असत्यापित और निरर्थक हैं. इनमें जांच शुरू करने लायक कोई कानूनी आधार नहीं है.’ ये 5 आरोप हैं- 

1- मधाबी पुरी बुच और उनके पति की तरफ से अडानी समूह से जुड़े फंड में भारी निवेश किया गया.

2- महिंद्रा एंड महिंद्रा और ब्लैकस्टोन जैसी कंपनियों से सलाहकार शुल्क के नाम पर माधाबी पुरी ने गलत तरीके से फायदा कमाया.

3- वॉकहार्ट कंपनी से किराए की आमदनी को रिश्वत के रूप में स्वीकार किया.

4- ICICI बैंक के ESOPs को 5 सालों में बेच दिया.

5- महिंद्रा एंड महिंद्रा और ब्लैकस्टोन से जुड़े मामलों में झूठा अलगाव दिखाया.

कौन हैं माधाबी पुरी बुच?

माधबी पुरी बुच सेबी की पहली महिला अध्यक्ष थीं, जिनका कार्यकाल मार्च 2022 से शुरू हुआ था और 28 फरवरी 2025 को खत्म हुआ. माधबी पुरी बुच ने अपनी स्कूल की पढ़ाई फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल मुंबई और कॉन्वेंट ऑफ जीसस मैरी स्कूल नई दिल्ली से की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन्स कॉलेज के मैथेमेटिक्स में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने आगे चलकर IIM अहमदाबाद से एमबीए किया. माधबी पुरी बुच ने साल 1989 में आईसीआईसीआई बैंक के साथ अपने करियर की शुरुआत की. यहां पर वह इनवेस्टमेंट बैंकर और कार्यकारी निदेशक जैसे अहम पदों पर रही थीं. 

आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज में रहीं MD-CEO

साल 1993 से साल 1995 के बीच माधबी पुरी बुच ने वेस्ट चेशायर कॉलेज इंग्लैंड में बतौर लेक्चरर काम किया. 12 साल तक उन्होंने कई कंपनियों के सेल्स, मार्केटिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दी थी. साल 2006 से 2011 तक उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ की जिम्मेदारी निभाई. इसके बाद वह साल 2011 में सिंगापुर चली गईं, यहां पर उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल एलएलपी में बड़ा पद संभाला. 

न्यू डेवलपमेंट बैंक में रही थीं एडवाइजर 

साल 2013 से साल 2017 तक उन्होंने न्यू डेवलपमेंट बैंक में बतौर एडवाइजर काम किया. इसके बाद साल 2017 में उन्हें सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया था. साल 2018 में उन्होंने सहारा ग्रुप के खिलाफ आदेश पारित किया, जिसमें सेबी के आदेश का उल्लंघन करते हुए निवेशकों से फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर के जरिए जुटाए गए 14 हजार करोड़ रुपए वापस करने का आदेश दिया था. साल 2022 में उन्होंने सेबी के अध्यक्ष के तौर पर अपना कार्यभार संभाला था.

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