आरबीआई के पूर्व गवर्नर और प्रख्यात इकोनॉमिस्ट रघुराम राजन ने इंडिया के बारे में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ग्लोबल कैपिटल अमेरिका के बाहर निवेश के मौके की तलाश में है। इंडिया इसका फायदा उठा सकता है। लेकिन, इसके लिए इंडिया को जरूरी कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि यह समय इंडिया का हो सकता है।
ग्लोबल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन में इंडिया के लिए बड़े मौके
सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत में राजन ने ग्लोबल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन में इंडिया के लिए बड़े मौकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने सप्लाई नेटवर्क्स पर पुनर्विचार कर रही हैं। इंडिया को इसका फायदा मिल सकता है। लेकिन इसके लिए इंडिया को जरूरी कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा, “अगर इंडिया इन कंपनियों का स्वागत करता है और यह कहता है कि उसकी पॉलिसी और टैक्स रीजीम में स्थिरता बनी रहेगी…तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश काफी बढ़ सकता है।”
सब्सिडी पर निर्भरता कम करने की सलाह
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने साथ ही सब्सिडी पर बहुत ज्यादा निर्भरता को लेकर सावधान किया। उन्होंने लंबी अवधि के लिहाज से प्रोडक्शन के लिए एक व्यावहारिक माहौल तैयार करने का सुझाव दिया। राजन अभी अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनेंस के प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि रिफॉर्म्स के लिए समय पर कदम उठाने से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के मामले में इंडिया संभावनाओं का पूरा फायदा उठा सकेगा।
बड़े ट्रेड एग्रीमेंट के रास्ते में कई बड़ी बाधाएं
उन्होंने कहा कि ऐसी दुनिया में जहां व्यापक स्तर का ट्रेड एग्रीमेंट मुश्किल दिखता है, बड़ी डील के लिए वैश्किक स्तर पर बातचीत का नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि बहुपक्षीय समझौतों और रेगुलेशन के मामले में साफ तस्वीर इस कमी को दूर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में एपल को मैन्युफैक्चरिंग वापस अमेरिका लाने को कहा। यह मोलभाव के उनके व्यापक प्लान का हिस्सा है। ज्यादातर सीईओ ट्रंप की बातों की अनदेखी नहीं करना चाहते।
इंडिया सहित कई देशों में इंटरेस्ट रेट में कमी की गुंजाइश
राजन ने कहा कि ऐसे वक्त जब दुनिया की बड़ी मैनयुफैक्चरिंग कंपनियां चीन से बाहर अपने प्लांट शुरू करने के मौके तलाश रही हैं, तब चीन गुड्स की कीमतों को कम रखने की कोशिश कर रहा है। इस कदम से दुनिया में इनफ्लेशन कंट्रोल में बना रह सकता है। इंटरेस्ट रेट्स के बारे में उन्होंने कहा कि इंडिया सहित कई देशों के केंद्रीय बैंकों के पास इंटरेस्ट रेट्स घटाने और लिक्विडिटी बढ़ाने की गुंजाइश है। इससे ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा।
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