NSE Valuation: भारत का सबसे बड़ा इक्विटी डेरिवेटिव एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) अपना IPO लाने की तैयारी में जुटी है। इस बीच NSE का वैल्यूएशन प्राइवेट मार्केट में $58 अरब तक पहुंच गया है।
हाल के ट्रांजैक्शन से जुड़े लोगों के अनुसार, इन्वेस्टर्स की ओर से भारी मांग देखी जा रही है। इससे शेयरों की कीमत ₹2,000 ($23) तक बोली जा चुकी है। पिछले साल सितंबर में NSE का वैल्यूएशन 4 महीनों के भीतर दोगुना होकर $36 अरब हो गया था।
निवेशकों में बढ़ी हिस्सेदारी की होड़
सूत्रों के मुताबिक, हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स IPO की संभावना को देखते हुए अनलिस्टेड शेयरों की आक्रामक खरीद कर रहे हैं। NSE का वैल्यूएशन सितंबर 2024 के $36 अरब से बढ़कर $58 अरब हो गया है यानी लगभग 60% की तेजी।
डिमांड इतनी ज्यादा है कि डीलर को कई बार पैसे लौटाने पड़े हैं क्योंकि विक्रेताओं ने आखिरी समय पर शेयर देने से इनकार कर दिया।
एक दशक से अटका है IPO
NSE पिछले करीब एक दशक से IPO लाने की योजना बना रहा है, लेकिन यह प्रक्रिया सेबी के साथ कानूनी विवादों में उलझी रही। एक्सचेंज पर यह आरोप था कि कुछ हाई-स्पीड ट्रेडर्स को इसके को-लोकेशन सर्वर तक अनुचित एक्सेस दिया गया।
इस मामले में NSE को छह महीने के लिए कैपिटल मार्केट से प्रतिबंधित भी किया गया था। अब जब इस विवाद के हल की संभावना बन रही है, IPO की दिशा में रफ्तार फिर से तेज हुई है।
ग्लोबल बेंचमार्क से तुलना
ब्लूमबर्ग के डेटा के मुताबिक, अगर NSE $58 अरब के वैल्यूएशन पर लिस्ट होता है, तो यह अमेरिकी एक्सचेंज Nasdaq Inc. से आगे निकल जाएगा, और Deutsche Boerse AG के $62 अरब मार्केट कैप के करीब पहुंच जाएगा।
फिलहाल NSE के करीब 2.5 अरब शेयर प्राइवेट मार्केट में उपलब्ध हैं। इसमें लगभग 64% हिस्सेदारी सार्वजनिक निवेशकों के पास है। इनमें लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) और कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
डेरिवेटिव सेगमेंट में फिर से फोकस
हाल के महीनों में NSE को डेरिवेटिव कारोबार में BSE से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है। हालांकि, NSE के CEO आशीष कुमार चौहान ने हाल में निवेशकों से बातचीत में कहा कि यह गिरावट अब थम चुकी है।
NSE अब अपने डेरिवेटिव अनुबंधों की एक्सपायरी डेट गुरुवार से बदलकर मंगलवार करने की योजना बना रहा है। इसका मकसद ट्रेडिंग वॉल्यूम में मजबूती लाना और BSE से खोई हिस्सेदारी फिर से हासिल करना है।
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