Use of Agentic AI: भारत में मानव संसाधन क्षेत्र के दिग्गजों को उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में एजेंटिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Agentic AI) की स्वीकार्यता में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिलेगा. एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2027 तक एजेंटिक एआई को अपनाने की दर में 383% की वृद्धि हो सकती है. एजेंटिक एआई को उस तकनीक के रूप में देखा जा रहा है जो एआई एजेंट्स को बिना इंसानी दखल के, अपने आप निर्णय लेकर कार्य करने की क्षमता देती है. यानी मशीनें खुद सोचकर काम करेंगी वो भी पूरी तरह स्वतंत्र रूप से.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह रिपोर्ट अमेरिकी क्लाउड सॉफ्टवेयर कंपनी Salesforce द्वारा जारी की गई है जिसमें दुनिया भर के 200 मानव संसाधन अधिकारियों की राय को शामिल किया गया है. रिपोर्ट का साफ संकेत है कि डिजिटल लेबर अब कोई ट्रेंड नहीं बल्कि बिज़नेस की रीढ़ बनता जा रहा है. अनुमान है कि AI एजेंट्स के आने से अगले दो सालों में उत्पादकता में औसतन 41.7% तक इज़ाफा हो सकता है.
भारत में CHROs (Chief Human Resource Officers) को उम्मीद है कि एजेंटिक एआई के चलते उन्हें 24.7% कर्मचारियों की भूमिकाओं में बदलाव करना पड़ेगा. वहीं, 88% HR प्रमुखों का कहना है कि वो अपने स्टाफ को दोबारा प्रशिक्षित करने की योजना बना रहे हैं ताकि वे इस बदलते दौर में तकनीक के साथ तालमेल बिठा सकें.
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि 81% भारतीय एचआर लीडर्स मानते हैं कि एजेंटिक एआई के साथ काम करने के लिए सॉफ्ट स्किल्स जैसे टीमवर्क और कम्युनिकेशन अब और ज़्यादा जरूरी हो गए हैं. Salesforce की प्रेसिडेंट और चीफ पीपल ऑफिसर, नाथाली स्कार्डिनो का कहना है कि “हर क्षेत्र को अपनी नौकरियों को फिर से डिज़ाइन करना होगा. डिजिटल युग में कामयाबी के लिए कर्मचारियों को तकनीकी, मानव और रणनीतिक कौशल एक साथ सीखने होंगे.”
HR लीडर्स को पसंद आ रहा बदलाव
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में HR लीडर्स का बड़ा तबका इस बदलाव को अपनाने को तैयार है. करीब 85% भारतीय एचआर अधिकारी मानते हैं कि आने वाले पांच सालों में मानव कर्मचारी और डिजिटल एजेंट एक साथ मिलकर काम करेंगे. हालांकि, फिलहाल स्थिति यह है कि सिर्फ 12% CHROs ने अपने संगठनों में एजेंटिक एआई को पूरी तरह लागू किया है.
इसके अलावा, 60% से ज्यादा HR अधिकारियों का मानना है कि उनके कर्मचारी अभी भी यह नहीं समझते कि एआई उनकी नौकरी को किस तरह प्रभावित करेगा. कुल मिलाकर, रिपोर्ट यह संकेत देती है कि भारत में डिजिटल लेबर और एजेंटिक एआई का दौर शुरू हो चुका है और आने वाले वर्षों में यह कार्य संस्कृति और दक्षता की परिभाषा ही बदल सकता है.
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