आप वॉर कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा…पाकिस्तान पर जमकर बरसे पीएम मोदी

गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांधीनगर में गुजरात शहरी विकास की 20वीं वर्षगांठ के समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि, मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज गांधीनगर में हूं। मैं जहां-जहां गया वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है। ये दृश्य सिर्फ गुजरात में नहीं है, हिंदुस्तान के कोने-कोने में है, हर हिंदुस्तानी के दिल में है।

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प्रधानमंत्री ने कहा, शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है तो पूरा शरीर परेशान रहता है। इसलिए हमने तय कर लिया है, हम उस कांटे को निकालकर रहेंगे। 1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थी जंजीरें लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता।

उन्होंने कहा कि, जब आतंकवाद के 9 ठिकानों को तय करके 22 मिनट में ध्वस्त कर दिया, तब सबकुछ कैमरे के सामने किया गया। ऐसा इसलिए कि यहां कोई सबूत न मांगने लगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ा रहा है। सामने वाला खुद ही सबूत पर सबूत दे रहा है। 6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया। ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये पाकिस्तान की सोची-समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।

कल 26 मई थी… 2014 में 26 मई को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने। क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं। आने वाले दिनों में हमें टूरिज्म पर बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है। कोई सोच सकता है कि कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, आज वहां जाने के लिए बुकिंग नहीं मिल रही है। चीजों को बदला जा सकता है।

 

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