YouTuber Jyoti Malhotra had sent confidential information through these apps Know the complete details here

Jyoti Malhotra: भारत की एक पॉपुलर ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा, जिन्हें ‘Travel with JO’ चैनल के ज़रिए लाखों लोग जानते हैं, अब एक गंभीर आरोप में सुर्खियों में हैं. हिसार पुलिस ने उन्हें पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि वे WhatsApp, Telegram और Snapchat जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारियां भेजती थीं.

एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिए खुफिया जानकारियां लीक

जानकारी के अनुसार, पुलिस जांच में सामने आया है कि ज्योति ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी से जुड़े लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए सुरक्षित चैटिंग प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया. उन्हें शक के घेरे में इसलिए भी लिया गया क्योंकि वे अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर रही थीं और उनकी चैट्स में कोडवर्ड्स का इस्तेमाल हो रहा था. इस मामले में अब तक छह अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है.

कौन है ‘दानिश’ और क्या है कनेक्शन?

जांच में एक नाम और सामने आया है, अहसन-उर-रहीम उर्फ़ दानिश. पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, ज्योति की उससे मुलाकात 2023 में पाकिस्तान यात्रा के दौरान हुई थी. दोनों बाद में इंडोनेशिया भी गए थे. संदेह है कि दानिश ने ही ज्योति की मुलाकात ISI एजेंट्स से करवाई थी.

क्या सोशल मीडिया बना सॉफ्ट प्रोपेगेंडा का जरिया?

अधिकारियों को संदेह है कि ज्योति ने अपने यूट्यूब चैनल के ज़रिए पाक समर्थित विचारों को बड़ी चालाकी से फैलाने की कोशिश की. उनके कुछ वीडियो जैसे “Indian Girl in Pakistan” और पाकिस्तान की मेहमाननवाज़ी की तारीफ करने वाले कंटेंट को अब शक की नजर से देखा जा रहा है.

चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि ज्योति ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में हुए एक VIP इफ्तार कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. उनके इन डिप्लोमैटिक संबंधों की भी गहराई से जांच की जा रही है.

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

जानकारी के मुताबिक, ज्योति ने खुद स्वीकार किया है कि वह पाकिस्तान यात्रा के दौरान गुप्त संवाद के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग करती थीं. अभी जांच जारी है और उनके डिवाइसेज़, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस और यात्रा विवरणों को खंगाला जा रहा है. यह मामला साफ दिखाता है कि कैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों में हो सकता है. व्लॉगिंग के नाम पर शुरू हुई यात्रा ने एक खुफिया खतरे की परतें खोल दी हैं. अब सुरक्षा एजेंसियां ऐसे डिजिटल प्रभावशाली लोगों पर भी सख्त निगरानी रख रही हैं, जिनके विदेशी संपर्क संदेहास्पद हो सकते हैं.

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