
पाकिस्तान का बजट
पाकिस्तान वो देश है जो ख़ैरात में चलता है क्योंकि यहां की अवाम भूख से तड़प रही है और शहबाज़-मुनीर की जोड़ी आतंकियों को पाल पोस रही है। इस बीच IMF से कर्ज लेने के लिए पाकिस्तान जनता पर जुल्म बढ़ाने वाली है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार IMF से क़र्ज़ लेने के लिए जनता पर बोझ बढ़ाने की तैयारी में है। बता दें कि IMF ने क़र्ज़ देने के लिए पाकिस्तान की सरकार के सामने कड़ी शर्तें रखी हैं, जिसका सीधा असर अवाम की जेब पर पड़ने वाला है। पाकिस्तान को 2026 का बजट IMF की शर्तों के मुताबिक पास करना होगा, जिसके मुताबिक पाकिस्तान की सरकार टैक्स कम नहीं कर सकती उल्टे बिजली और गैस की क़ीमतें हर साल बढ़ानी होगी।
बजट हुआ खराब, जनता से पैसे वसूलेगी सरकार
15 दिन बाद पाकिस्तान के नूरखान एयरबेस से किसी फ्लाइट ने उड़ान भरी है। भारत की मिसाइलों ने नूरखान में इतनी तबाही मचाई कि उसे ठीक करने में पाकिस्तान को 15 दिन लग गये। नूरखान एयरबेस को दोबारा बनाने में पाकिस्तान का इतना खर्च हुआ कि सरकार का बजट ही खराब हो गया। पाकिस्तान के बर्बाद हुए एयरबेस को बनाने का खर्च अब आवाम से वसूला जा रहा है। 90 घंटे में ही पाकिस्तान का दिवाला निकल गया है और दो करोड़ पाकिस्तानी आवाम भूखमरी की कगार पर है। लेकिन पाकिस्तान की सरकार उनका बोझ और बढ़ा रही है।
खाने के लिए रोटी नहीं, पीने के लिए पानी नहीं
पाकिस्तान के लोगों के पास खाने के लिए रोटी नही है, पीने के पानी नहीं है लेकिन झूठा नैरेटिव बनाने के लिए सरकार और सेना अपने लोगों से ही झूठ बोल रही है। उनके ही पैसों से प्रोपेगेंडा चला रही है।आतंकियों को बचाने के लिए भारत से उलझना पाकिस्तान को भारी पड़ गया है, उसका खजाना खाली है। हालात ये है कि IMF से कर्ज पाने के लिए पाकिस्तान उसकी हर शर्त मानने को मजबूर है और IMF की जो शर्ते हैं, उसका सीधा इम्पैक्ट पाकिस्तान की आवाम पर पड़ने जा रहा है।
पाकिस्तान में रोटी सब्जी पर भी आफत
IMF की शर्त के मुताबिक
- पाकिस्तान सरकार को 2026 का बजट IMF के साथ हुए समझौते के अनुसार पास कराना होगा
- पाकिस्तान सरकार टैक्स में कोई छूट नहीं दे सकती
- हर स्टेट गवर्मेंट को अपनी कृषि आयकर के नियमों में बदलाव करना होगा
- खाद और कीटनाशक पर 5 प्रतिशत FED लगाया जाएगा
- घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को बेचा जाए
- बिजली और गैस की कीमतों में हर साल बदलाव होगा..गैस की कीमतें साल में 2 बार बढेंगी
- सरकार एक कानून बनाएगी जिससे बिजली पर लगने वाला टैक्स हमेशा के लिए लागू होगा
पाकिस्तान में IMF की शर्तें पड़ेंगी भारी
जिस पाकिस्तान में 2 करोड़ लोगों के पास खाने के अनाज नहीं है, उन पर IMF की शर्ते कितनी भारी पड़ने वाली हैं। ये बताना मुश्किल नहीं है लेकिन पाकिस्तान की सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पाकिस्तान में खाने पीने की चीजें आसमान छू रही हैं, रोजमर्रा की चीजों की कीमत इतनी ज्यादा है, जो आम लोगों के पहुंच से बाहर है। पाकिस्तान में लोगों की चाय फीकी हो गई है क्योंकि चीनी का रेट 200 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच रहा है।पाकिस्तान सुगर मिल एसोसिएशन ने कह दिया कि 8 मिलियन मिट्रिक टन स्टॉक पड़ा है।
पाकिस्तान में महंगी हुई सब्जियां
सब्जियां खरीदना लोगों के लिए मुश्किल
पाकिस्तान में सब्जी मार्केट जाकर सब्जी खरीदना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। मंडी में टमाटर 400 रुपए किलो बिक रही है। नीबू का रेट 500 रुपए किलो है, शिमला मिर्च खरीदने के लिए 180 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जिस पाकिस्तान में आम लोगों औसत आमदनी 500 रुपए रोजाना से भी कम हो, उसके लिए 400 रुपए किलो का टमाटर खरीदना बेहद मुश्किल है। बाजार में जो सब्जियां या फल सस्ते रेट में भी मिल रहे हैं, वहां भी लोगों की भीड़ ना के बराबर है।
भारत से जंग लड़ने का भुगतेगा खामियाजा
चार दिन में ही भारत से हारने के बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरान और आर्मी दोबारा जंग लड़ने की बात कर रहे हैं लेकिन हकीकत ये है कि पाकिस्तान की इकोनॉमी बुरी तरह बर्बाद हो चुकी है। पाकिस्तान 2 दिन की भी जंग लड़ने के हालात में नहीं है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के ऊपर बाहरी कर्ज बढ़कर 131 अरब डॉलर हो गया और ये इसकी जीडीपी का करीब 42% है। पाकिस्तान की 30 फीसदी आबादी बुरी तरह भूखमरी का शिकार है। बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा के 68 जिलों में 1.1 करोड़ लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं मिल रही।
शहबाज सरकार ने जनता को दिया धोखा
सिर्फ 1 साल के भीतर ये नंबर 38 फीसदी तक बढ़ चुका है, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान 127 देशों की लिस्ट में 109 वें नंबर पर है। पाकिस्तान में कुपोषण की दर 30 फीसदी के पार है, ये स्थिति कितनी गंभीर है इसे ऐसे समझिए कि 10% से ऊपर का स्तर हेल्थ इमरजेंसी का इंडीकेशन देता है। दशकों से कटोरा लेकर आर्थिक मदद मांगता जा रहा पाकिस्तान इसका उपयोग करके भी अपनी माली हालत सुधारने में नाकाम रहा है। ऐसे में IMF के ताजा लोन से इकोनॉमी में कुछ बदलाव आएगा ये कहना मुश्किल है लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरान अपनी ही आवाम को धोखे में रखने के लिए प्रोपेगेंडा चला रहे हैं।
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