6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आधे हिस्से की डी-लाइसेंसिंग के बाद सरकार उठाने जा रही एक और बड़ा कदम, 5G कंज्यूमर्स की होगी चांदी – after de-licensing half of the 6 ghz spectrum the government is going to take another big step 5g consumers will benefit

6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के आधे हिस्से को डी-लाइसेंस करने के बाद दूरसंचार विभाग बाकी हिस्से की नीलामी की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने इसकी नीलामी की शर्तों पर ट्राई से राय मांगी है। इस पर ज्यादा डिटेल्स के साथ सीएनबीसी-आवाज़ के असीम मनचंदा ने सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि 6Ghz स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए दूरसंचार विभाग ने TRAI से राय मांगी है। ट्राई से नीलामी की शर्तें तय करने पर सिफारिशें मांगी गई हैं।

सूत्रों के मुताबिक TRAI अगले हफ्ते इस पर कंसल्टेशन पेपर जारी करेगा। इस कंसल्टेशन पेपर के जरिए ट्राई इस मुद्दे पर सभी स्टेक होल्डरों से उनकी राय जानेगी। इसमें पूछा जाएगा कि किन शर्तों के आधार पर इस स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाए और इस बेस प्राइस क्या होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक ये सारी शर्तें अगले 2-3 महीनों में तय हो जाएंगी और ट्राई इन पर अपनी सिफारिशें भेज देगा। इसके बाद सरकार स्पेक्ट्रम की नीलामी करेगी।

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करीब 600 Mhz स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। सूत्रों के मुताबिक 6425 से लेकर 7025 स्पेक्ट्रम पर राय मांगी गई है। दूरसंचार विभाग ने आधे हिस्से को डी-लाइसेंस किया है। इससे टेलीकॉम कंपनियों की सेवाओं में सुधार आएगा। इस डी-लाइसेंस से टेलीकॉम कंपनियों की 5G नेटवर्क की स्पीड भी बढ़ेगी।

बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में 6 GHz स्पेक्ट्रम बैंड के कुछ हिस्से (5925–6425 MHz) को इनडोर इस्तेमाल के लिए बिना लाइसेंस के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किए हैं। सरकार के इस कदम का लक्ष्य Wi-Fi 6E और Wi-Fi 7 जैसी अगली पीढ़ी की वाई-फाई तकनीकों को बढ़ावा देना है, जिससे तेज रफ्तार और बिना रुकावट की कनेक्टिविटी मिल सके। सरकार के इस फैसले से 500 MHz अतिरिक्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा, जिससे वाई-फाई नेटवर्क की गति और क्षमता में सुधार होगा।

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