SEBI: कुछ ही सेकेंड्स में 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट, सेबी की जांच से क्या सच्चाई सामने आएगी? – sebi decision to investigate deeply jane street issue is a welcome step it may bring out many startling facts

सेबी ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया है। जेन स्ट्रीट एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म है, जिसकी पहचान दुनियाभर में है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के जेन स्ट्रीट को क्लिन चिट देने के बावजूद सेबी ने यह ऐलान किया है। इस ट्रेडिंग फर्म पर मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करने का आरोप है, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ। इसका नुकसान इंडियन ट्रेडर्स को उठाना पड़ा। यह पूरा मामला जनवरी 2025 में तब सामने आया था, जब एनएसई को कुछ असाधारण ट्रेडिंग पैटर्न्स देखने को मिले थे, जो जेन स्ट्रीट सहित कुछ हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्मों से जुड़े थे।

हालांकि, ये ट्रेड्स कुछ सेकेंड्स के अंदर हुए थे, लेकिन उनका असर काफी व्यापक था। इससे एक चेन रिएक्शन बना था, जिसने मार्केट की चाल उस दिशा में मोड़ दिया था, जो इन फर्मों के लिए फायदेमंद था। इन ट्रेड्स की वजह से कुछ दूसरे ट्रेडर्स के स्टॉपलॉस ट्रिगर हुए थे जिसका काफी असर पड़ा था। इससे बाजार में भी उतारचढ़ाव बढ़ा था। यह साफ है कि इन ट्रेड्स की वजह से मार्केट में अनुचित फायदा उठाने की स्थिति बनाई गई थी।

जेन स्ट्रीट का इंडिया में ऑपरेशन कितना बड़ा है, इसका पता तब चला था जब प्रतिद्वंद्वी कंपनी Millennium Management के साथ कोर्ट में उसकी लड़ाई सामने आई थी। कोर्ट में मामले की सुनवाई से यह पता चला था कि इंडिया में इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग से Jane Street ने 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट कमाया था। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ने पर कुछ फर्मों के आपस में मिलकर काम करने का पता चला था, जो संभवत: इन फर्मों का एक कार्टल हो सकता है।

इस कार्टल की कथित गतिविधियां अप्रैल 2024 में निगाह में आई थीं, जब कुछ खास इंडेक्स की एक्सपायरी थी। ट्रेडर्स ने सूचकांकों में कोऑर्डिनेटेड पोजीशनिंग का पैटर्न पाया था, जिसके बाद कुछ ऐसे बड़े अंडरलाइंग स्टॉक्स में तेज उतारचढ़ाव दिखा था, जिनकी सूचकांक में बड़ी हिस्सेदारी थी। मार्केट को मैनिपुलेट करने के मकसद से जानबूझकर ऐसे मूवमेंट पैदा करने की कोशिश की गई थी।

दिग्गज ट्रेडर संतोष पासी ने 18 अप्रैल, 2024 को कीमतों में असाधारण उतारचढ़ाव पर सवाल उठाए थे। इन मूवमेंट्स से न सिर्फ लिमिटेड प्राइस प्रोटेक्शन (LPP) रेंज का उल्लंघन हुआ था बल्कि इससे इंडिया के कुछ सबसे बड़े एल्गोरिद्म ट्रेडिंग फर्मों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। सवाल यह है कि इस तरह का असाधारण मूवमेंट सख्त रेगुलेटेड फ्रेमवर्क में हुआ था, जो कुछ फर्मों के मिलकर मैनिपुलेट करने का संकेत देता है। यह भी माना जाता है कि यह किसी एक फर्म का काम नहीं हो सकता है।

LPP का मतलब कीमतों की उस रेंज या लिमिट से है, जिसका मकसद कीमतों में बहुत ज्यादा उतारचढ़ाव को रोकना है। इस रेंज या लिमिट के टूटने और बार-बार टूटने का मतलब है कि सिस्टम में कुछ कमियां हैं, जिसका फायदा कुछ ताकतवर फर्में उठा रही हैं। SEBI के इस मामले की गहराई से जांच करने का मतलब है कि सच्चाई सामने आएगी और उसके बाद जिम्मेदारी तय होगी। अगर सेबी ट्रेडिंग फर्मों के कथित कार्टेल को बेनकाब करने में सफल हो जाता है तो इससे इंडियन मार्केट्स में भरोसा बढ़ेगा। हालांकि, यह मामला दूसरे कुछ गंभीर सवाल भी उठाता है।

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अगर इस तरह का मैनिपुलेशन दुनिया के सबसे लिक्विड डेरिवेटिव मार्केट में किया जा सकता है तो इसका मतलब है कि तब स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स के कम लिक्विड माने जाने वाले सेगमेंट तो ऐसा करना और आसान होगा। SEBI को न सिर्फ इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए बल्कि ऐसे मैनिपुलेशन को होने से रोकने के लिए मजबूत सिस्टम भी बनाना चाहिए।

शिशिर अस्थाना

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