बांग्लादेश सेना प्रमुख वकार-उज-जमान की खुली चेतावनी से कांपी यूनुस सरकार, ‘ब्लडी कॉरिडोर’ का जिक्र बर्दाश्त नहीं, दिसंबर 2025 तक कराएं चुनाव

ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार (Interim Government of Bangladesh) और सेना (Army) के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। सेना प्रमुख (CSA) वकार-उज-जमान ने अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण फैसले लेते समय सेना (Army)  को भरोसे में नहीं ले रही, जिससे सेना में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से, ‘ब्लडी कॉरिडोर’ (Bloody Corridor) की धारणा को पूरी तरह अस्वीकार्य करार दिया, इसे राष्ट्रीय एकता और स्थिरता के लिए खतरा बताया। सेना प्रमुख (Army Chief)  ने कहा कि यह शब्द संभवतः हिंसक अस्थिरता या गृहयुद्ध जैसे हालात की ओर इशारा करता है, जिसे सेना (Army) ने सिरे से खारिज किया।

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दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम

बांग्लादेश  सेना  प्रमुख वकार-उज-जमान (Bangladesh Army Chief Waqar-uz-Zaman) ने अंतरिम सरकार को दिसंबर 2025 तक आम चुनाव कराने की चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल जनता द्वारा चुनी गई सरकार को ही बांग्लादेश का भविष्य तय करने का अधिकार है, न कि एक गैर-निर्वाचित प्रशासन को। यह बयान मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए बड़ा झटका है, जो पहले ही चुनाव की समयसीमा को लेकर विवादों में घिरी है। यूनुस ने संकेत दिया था कि चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में हो सकते हैं, लेकिन सेना का यह सख्त रुख सरकार पर दबाव बढ़ा रहा है।

राष्ट्रीय प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं

एक कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) ने मुक्ति युद्ध की विरासत (Legacy of Liberation War) और राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को कायम रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेना के अधिकारी कोर ने सीएएस (CSA)  के प्रति पूर्ण समर्थन जताया और उनके आदेशों पर तत्काल कार्रवाई की तैयारी दिखाई। सेना ने यह भी साफ किया कि वह भीड़ की हिंसा या अराजकता को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी, जिससे सख्त कानून-व्यवस्था लागू करने की ओर रुख साफ झलकता है।

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हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर सेना और सरकार के बीच तनाव की खबरें तेजी से फैली हैं। कुछ रिपोर्ट्स में तख्तापलट की आशंका भी जताई गई, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई। शेख हसीना (Sheikh Hasina)  के सत्ता छोड़ने के बाद से बांग्लादेश पहले ही राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा है। सेना की यह चेतावनी और चुनाव की मांग यूनुस सरकार (Yunus Government)  के लिए एक निर्णायक चुनौती बन सकती है।

सूत्रों ने बताया कि जनरल जमान की योजना देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों शेख हसीना (Sheikh Hasina) की अवामी लीग (Awami League) और खालिदा जिया (Khaleda Zia) की बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी (BNP) को साथ लाना और देश के लिए चुनाव में हिस्सा लेने के लिए तैयार करना है। सेना की सबसे बड़ी चिंता यूनुस सरकार (Yunus Government) के कार्यकारी आदेशों के जरिए कैदियों की रिहाई है। सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश की सेना का बड़ा हिस्सा जनरल जमान के पूरी तरह साथ है।

सेना में फूट डाल रहे मोहम्मद यूनुस

जनरल जमान की दूसरी बड़ी चिंता मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) को लेकर है, जो सेना में विभाजन का प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने सेना प्रमुख की अनुपस्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति की थी, जिससे इन प्रयासों को बल मिला है। मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) ने अपने विश्वासपात्र खलीलुर रहमान को एनएसए बनाया है। खलीलुर रहमान अमेरिकी नागरिक हैं और म्यांमार में सैन्य अभियान को लेकर अमेरिकी प्लान में शामिल होने के लिए को लेकर बांग्लादेश की सेना पर दबाव बना रहे हैं।

हाल ही में जमान के विरोधी जनरल के साथ एनएसए की बैठक

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हाल ही में क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने खलीलुर रहमान के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। रहमान को जनरल जमान के विरोधी खेमे का माना जाता है। सूत्रों का कहना है कि नये एनएसए और यूनुस की कोशिश सेना प्रमुख को हटाने की होगी, लेकिन ज्यादातर कमांडर जनरल जमान के साथ हैं। इस बीच सेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि वह किसी दबाव में नहीं आएंगे। उन्होंने अपने कार्यालय या घर की ओर किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोक दिया है।

आर्मी चीफ ने शुरुआत में मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) की मदद करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें जल्द समझ आ गया कि यूनुस विदेशी हाथों की कठपुतली हैं और लंबे समय तक बिना चुनाव के सत्ता में बने रहना चाहते हैं। सेना प्रमुख जल्द चुनाव चाहते हैं। लोकतंत्र की खातिर एक साथ चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सभी दलों के साथ बैकचैनल बना लिए हैं।

सेना प्रमुख जनरल जमान को भारत  समर्थक और एक संतुलित सैन्य अधिकारी के रूप में देखा जाता है

जनरल जमान को जून 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्हें भारत के साथ अच्छे रिश्तों के समर्थक और एक संतुलित सैन्य अधिकारी के रूप में देखा जाता है। सेना में उनके खिलाफ खेमे की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान कर रहे हैं। रहमान को इस्लामिक कट्टरपंथियों और पाकिस्तान परस्त लोगों का समर्थन हासिल है।

इसी साल की शुरुआत में पाकिस्तानी सेना की कुख्यात खुफिया शाखा आईएसआई (ISI) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरान किया था। इस दौरान उनकी फैजुर रहमान से मुलाकात हुई थी। इसने सेना के अंदर विभाजन को गहरा कर दिया था। इस मुलाकात को सेना प्रमुख के अपमान के रूप में देखा गया। क्वार्टर मास्टर जनरल फैजुर रहमान ने तख्तापलट की भी योजना बनाई थी, जो अधिकारियों का समर्थन न मिलने के कारण नाकाम हो गई।

टकराव की खबरों के बीच कुछ समय पहले सेना प्रमुख जमान ने  दिया था तख्तापलट का संकेत

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टकराव की खबरों के बीच कुछ समय पहले सेना प्रमुख जमान ने तख्तापलट का भी संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि मैं देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरा देख सकता हूं। मेरी कोई अन्य आकांक्षा नहीं है, लेकिन मैं देश को सुरक्षित हाथों में देखना चाहता हूं। जमान ने कहा था कि मैं आपको पहले ही चेतावनी दे रहा हूं ताकि आप कल यह न कहें कि मैंने आपको नहीं बताया।

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