‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वर्ण मंदिर में तैनात नहीं की गई थी एयर डिफेंस गन’, भारतीय सेना ने दिया जवाब

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन की तैनाती को लेकर भारतीय सेना ने बड़ी जानकारी दी है। सेना ने कहा कि स्वर्ण मंदिर के परिसर में कोई एयर डिफेंस गन तैनात नहीं की गई थी। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि स्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल खतरों से निपटने के लिए सेना को मंदिर के भीतर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में दावा किया था कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन की तैनाती की गई थी। साथ ही उन्होंने सोमवार को कहा था कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं। ऐसा दुश्मन के ड्रोन को सटीकता से ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया था। इससे सेना को ड्रोन की पहचान करने और आसानी से उन्हें निशाना बनाने में मदद मिली।

क्या कहा भारतीय सेना ने?

भारतीय सेना ने मंगलवार को कहा कि ‘स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन की तैनाती के संबंध में कुछ मीडिया रिपोर्टें प्रसारित हो रही हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि श्री दरबार साहिब अमृतसर (स्वर्ण मंदिर) के परिसर में कोई एयर डिफेंस गन या कोई अन्य एयर डिफेंस संसाधन तैनात नहीं किए गए थे।’

—विज्ञापन—

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने न्यूज एजेंसी एएनआई के पॉडकास्ट में दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच श्री हरिमंदिर साहिब (गोल्डन टेंपल) में सेना की तरफ से एयर डिफेंस गन तैनात की गई थी। इस दावे को सेना ने ही खारिज कर दिया है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने बताया था कि पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर पर ड्रोन हमला करने की कोशिश की थी। इन हमलों को रोकने के लिए स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने परिसर के भीतर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी। उन्होंने बताया कि सेना को आशंका थी कि पाकिस्तान अपने ड्रोन एवं मिसाइल के जरिए स्वर्ण मंदिर पर हमला कर सकता है। सेना के अधिकारी ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं। ऐसा दुश्मन के ड्रोन को सटीकता से ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया गया। इससे सेना को ड्रोन की पहचान करने और आसानी से उसे गिराने में मदद मिली।

SGPC और गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ने भी किया इनकार

इससे पहले गुरुद्वारा के अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह और सिखों की धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने कहा था कि भारतीय सेना को किसी भी तरह के एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति नहीं दी गई थी। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि प्रशासन ने उनसे भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के बाद ब्लैकआउट के दौरान केवल लाइटें बंद करने के बारे में संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने चल रही धार्मिक आचरण की पवित्रता को बनाए रखते हुए प्रशासनिक जिम्मेदारी के हित में पूरा सहयोग किया। हरजिंदर सिंह ने कहा कि श्री हरमंदर साहिब में एयर डिफेंस गन की तैनाती के संबंध में किसी भी सेना अधिकारी से कोई संपर्क नहीं हुआ है। वहीं, हरमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी कहा कि वे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विदेश यात्रा पर थे, लेकिन एयर डिफेंस गन की तैनाती के संबंध में उनसे कोई बातचीत नहीं हुई और न ही स्वर्ण मंदिर में ऐसी कोई तैनाती की गई।

ब्लैकआउट के दौरान बंद की गई थीं लाइटें

ज्ञानी अमरजीत सिंह ने स्पष्ट किया कि हाल ही में शहर में ब्लैकआउट के दौरान अमृतसर जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों के मद्देनजर हरिमंदिर साहिब के प्रबंधन ने सहयोग किया। इस दौरान हरिमंदिर साहिब परिसर की बाहरी और ऊपरी लाइटें निर्धारित समय सीमा के अनुसार बंद कर दी गई, लेकिन जहां भी गुरु साहिब की रस्में निभाई जाती हैं, वहां लाइटें जलाकर रस्में पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाई गईं।

Read More at hindi.news24online.com