US Visa Policy: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के नेतृत्व में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी की घोषणा की है जिसे “वन-स्ट्राइक” या “Catch and Cancel” नीति कहा जा रहा है. इसके तहत अमेरिका में रहने वाले अस्थायी वीजा धारकों की ओर से किसी भी प्रकार का कानूनी उल्लंघन करने पर उनका वीजा तुरंत रद्द कर दिया जाएगा. इस नीति को पूर्व प्रशासन की “Catch and Release” नीति के विपरीत माना जा रहा है, जिसमें अवैध विदेशियों को गिरफ्तार करने के बाद छोड़ा जाता था. रुबियो ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी उदारता का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.
अमेरिका की वन-स्ट्राइक पॉलिसी सभी अस्थायी वीजा धारकों पर लागू होती है. इसमें H-1B वीजा धारक, F-1 छात्र वीजा धारक, पर्यटक वीजा, J-1 स्कॉलर वीजा, और अन्य नॉन-इमिग्रेंट वीजा धारक शामिल है.यह नीति विशेष रूप से उन लोगों पर लागू होती है, जो किसी भी कानूनी अपराध में लिप्त पाए गए. जिनके बारे में प्रतिकूल जानकारी (adverse info) उपलब्ध हो (जैसे सोशल मीडिया या निगरानी रिपोर्ट). इसके अलावा वैसे लोग, जो आतंकवाद या चरमपंथी गतिविधियों का समर्थन करते हैं या उनके संपर्क में पाए जाते हैं.
USCIS और DHS की भूमिका
US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) अब H-1B और अन्य आव्रजन आवेदनों पर अधिक सतर्क हो गया है. इस दौरान Request for Evidence (RFE) अधिक मामलों में जारी किए जा रहे हैं. आवेदकों से क्लियर बैकग्राउंड और कानूनी रिकॉर्ड मांगा जा रहा है.अगर किसी व्यक्ति की बैकग्राउंड में आतंकवाद, हिंसा या झूठे दस्तावेजों का इस्तेमाल पाया जाता है तो उसका वीजा तत्काल रद्द किया जा रहा है
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर असर
F-1 वीजा धारकों के लिए यह नीति एक बड़ी चिंता बनकर उभरी है. अब लॉ एंड ऑर्डर रिकॉर्ड स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से रीयल टाइम में चेक किया जाएगा. अगर किसी छात्र पर छोटे मोटे अपराध का भी आरोप है, जैसे ड्रग का इस्तेमाल, सोशल मीडिया पर चरमपंथी कंटेंट शेयर करना तो उसका वीजा रद्द किया जा सकता है
इसके क्या नतीजे हो सकते हैं?
अमेरिका के नए वीजा नीति की वजह से हजारों छात्रों को अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है.विश्वविद्यालयों में विदेशी नामांकन घट सकता है.अमेरिका के उच्च शिक्षा संस्थानों की वैश्विक छवि पर असर पड़ सकता है हालांकि रुबियो और ट्रंप समर्थक इसे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जरूरी बता रहे हैं, कई मानवाधिकार संगठन और विदेशी छात्र संघ इस नीति की आलोचना कर रहे हैं. वे इसे भेदभावपूर्ण बता रहे हैं. उनका कहना है कि इसकी वजह से विदेशी प्रतिभाओं का पलायन (brain drain) हो सकता है.
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