Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजारों में आज 20 मई को लगातार तीसरे दिन गिरावट देखने को मिली। कमजोर ग्लोबल संकेतों और विदेशी निवेशकों की निकासी के चलते मार्केट का सेंटीमेंट कमजोर हुआ। सेंसेक्स आज 872.98 अंकों की भारी गिरावट के साथ 81,186 के स्तर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान तो एक समय 905 अंकों तक फिसल गया था। निफ्टी भी पीछे नहीं रहा और यह 261 अंकों की गिरावट के साथ 24,700 के भी नीचे 24,683 के स्तर पर बंद हुआ। चौतरफा बिकवाली के चलते निफ्टी के सभी 13 सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। सबसे अधिक गिरावट बैंकिंग, ऑटो और FMCG शेयरों में देखने को मिली। वहीं निफ्टी पर आयशर मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, मारुति सुजुकी, सिप्ला और श्रीराम फाइनेंस के शेयर टॉप लूजर्स में शामिल थे।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कम से कम 8 ऐसे कारण हैं, जो इस समय निवेशकों को परेशान कर रहे हैं
1. कमजोर ग्लोबल संकेत
एशियाई शेयर बाजारों में आज कमजोरी का माहौल रहा। साउथ कोरिया का कॉस्पी में गिरावट देखी गई। वहीं अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक टिप्पणी के कारण यूएस फ्यूचर्स ने भी नरम शुरुआत का संकेत दिया। अटलांटा फेड के अध्यक्ष राफेल बोस्टिक ने कहा कि उन्हें 2025 में आगे केवल एक बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। इससे निवेशकों को यह संकेत मिला कि महंगाई पर अभी भी पूरी तरह से काबू नहीं पाया गया है। इसी ग्लोबल अनिश्चितता के चलते भारतीय बाजार में निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर बना रहा।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने सोमवार को भारतीय शेयर बाजार से 525.95 करोड़ रुपये की निकासी की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट, वीके विजयकुमार ने बताया कि बाजार का वैल्यूएशन पहले से ही खिंचा हुआ है, ऐसे में यह कंसॉलिडेशन के दौर में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने कहा, “ऊंचा वैल्यूएशन आगे तेजी को सीमित कर सकता है, जो संस्थागत बिकवाली को हर उछाल पर बिकवाली के प्रेरित कर सकता है।”
3. जापानी बॉन्ड में तेज गिरावट
जापान में मंगलवार को सरकारी बॉन्ड की नीलामी कमजोर रही, जिससे देश की राजकोषीय स्थिति को लेकर नई चिंताएं पैदा हो गई हैं। जापान के 20 साल के बॉन्ड की यील्ड साल 2000 के बाद के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई, जबकि 30 साल के बॉन्ड की यील्ड ने रिकॉर्ड शिखर को छू लिया। एनालिस्ट्स ने बताया कि इससे निवेशकों में यह चिंता बढ़ गई कि जापान में कर्ज लेने की लागत बढ़ेगी, जिससे ग्लोबल अनिश्चितता को बढ़ावा मिला है। इससे शेयर बाजारों के सेंटीमेंट प्रभावित हुए हैं।
4. भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता
कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल का चार दिवसीय अमेरिका दौरा मंगलवार को समाप्त हुआ। इस दौरान दोनों देशों के बीच संभावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश हुई, लेकिन कोई ठोस घोषणा नहीं हुई। बाजार अब किसी बड़े पॉजिटिव ट्रिगर का इंतजार कर रहा है। Cholamandalam Securities के रिसर्च हेड धर्मेश कांत के मुताबिक, “बाजार के लिए भारत-यूएस ट्रेड डील की घोषणा काफी बड़े ट्रिगर के रूप में काम कर सकती है लेकिन देखना होगा कि इसका ऐलान आखिर कब तक होता है।”
5. ग्लोबल ट्रेड को लेकर बढ़ा नया तनाव
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में व्यापारिक साझेदार देशों पर टैरिफ बढ़ाने की संभावना के बारे में चेतावनी दी थी। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि इस तरह का कोई भी कदम ग्लोबल मंदी की आशंका को फिर से बढ़ा सकती है और जोखिम वाली संपत्तियों में तेज अस्थिरता देखने को मिल सकती है।
6. रुपये में कमजोरी
शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 13 पैसे गिरकर 85.55 रुपये के स्तर आ गया, जिसकी वजह शेयर बाजार में कमजोरी और विदेशी फंड की लगातार निकासी रही। कारोबारियों ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के पीछे मुख्य वजह अमेरिका के 10 साल के बॉन्ड यील्ड में उछाल रही, जिससे रुपये समेत बाकी इमर्जिंग करेंसी पर दबाव बढ़ा।
7. मूडीज ने अमेरिका के सॉवेरन डेट का आउटलुक घटाया
रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने लॉन्गटर्म फिस्कल डिस्प्लिन से जुड़ी चिंताओं का हवाला देते हुए अमेरिका के सॉवरेन डेट को लेकर अपना आउटलुक घटा दिया है। हालांकि इससे कोई तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन इस कदम ने ग्लोबल स्तर सेंटीमेंट को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। वीके विजयकुमार ने कहा, “इस डाउनग्रेड ने वित्तीय बाजारों में बेचैनी की लहर पैदा कर दी है।” उन्होंने कहा कि बढ़ती अनिश्चितता के बीच निवेशक सतर्क हो रहे हैं।”
8. कोविड मामलों में बढ़ोतरी
कोविड-19 के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। खासकर हांगकांग और सिंगापुर जैसे प्रमुख एशियाई शहरों में, इसलिए निवेशकों का मूड सतर्क हो गया है। भारत में भी धीरे-धीरे मामले बढ़ने लगे हैं, 12 मई से अब तक 164 नए मामले सामने आए हैं। कुल एक्टिव मामलों की संख्या 257 पर पहुंच गई है। केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सबसे ज्यादा प्रभावित हैं
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