लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज जनपद लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में सहकारिता विभाग के कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों की आय में वृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ प्रारम्भ करने के निर्देश दिए हैं। योजना में नाबार्ड के साथ-साथ सहकारी बैंकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी सरकार किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सतत प्रयासरत है। ऐसे में किसानों को सस्ती दर पर सरलता से ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाना चाहिए। यह योजना इसी दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध होगी।
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उन्होंने आगे कहा, ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ का क्रियान्वयन प्रभावी और समयबद्ध हो। इसके लिए सहकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता को बढ़ाने, शाखाओं के आधुनिकीकरण हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और किसानों तक ऋण की सुगमता सुनिश्चित की जाए। इस योजना का विस्तृत प्रस्ताव शीघ्र तैयार कर प्रस्तुत किया जाए। इसके साथ ही कहा, सहकारी संस्थाओं की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया जाए। विशेष रूप से लघु और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि, पारदर्शिता और दक्षता को सहकारिता क्षेत्र की प्राथमिकताओं में शामिल किया जाए।
#UPCM @myogiadityanath ने आज जनपद लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में सहकारिता विभाग के कार्यों की समीक्षा की।
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— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) May 19, 2025
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वहीं, इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का ऋण वितरण वर्ष 2017 में ₹9,190 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2025 में ₹23,061 करोड़ तक पहुंच गया है, वहीं शुद्ध लाभ ₹100.24 करोड़ हो गया है। इसी अवधि में जिला सहकारी बैंकों का कुल व्यवसाय ₹28,349 करोड़ से बढ़कर ₹41,234 करोड़ तक पहुंच गया और शुद्ध लाभ ₹162 करोड़ दर्ज किया गया। साथ ही बताया गया कि, पिछले 8 वर्षों में प्रदेश में फसली ऋण ₹11,516 करोड़ एवं दीर्घकालिक ऋण ₹393 करोड़ वितरित किया गया। उर्वरक वितरण 34.45 लाख मीट्रिक टन, धान खरीद 25.53 लाख मीट्रिक टन और दलहन-तिलहन खरीद 1.94 लाख मीट्रिक टन रही। भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए एआईएफ योजना के तहत 375 गोदामों का निर्माण कर 37,500 मीट्रिक टन की क्षमता विकसित की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, भण्डारण क्षमता और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है, इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त नीति तैयार की जाए। पीसीएफ की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार की जरूरत है। साथ ही, राइस मिलर्स के भुगतान तत्काल सुनिश्चित किए जाएं।सहकारी क्षेत्र में रिक्त बैंकिंग एवं नॉन-बैंकिंग पदों की शीघ्र भर्ती के लिए IBPS के माध्यम से चयन प्रक्रिया तेज की जाए। इससे सहकारी संस्थाओं की कार्यक्षमता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इसके साथ ही कहा, सहकारी संस्थाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुए तकनीक, ऋण और विपणन तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित की जाए। सहकारिता के माध्यम से प्रदेश के किसानों को समृद्ध और सशक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, जिसके लिए नीतिगत सुधारों के क्रम सतत जारी रखे जाएं।
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