Mathura Govardhan Parvat Parikrama: सनातन धर्म में चारधाम यात्रा पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व भी है. चारधाम की यात्रा करने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती है और समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. इस यात्रा से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है. इस साल चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल 2025 से हो चुकी है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे हैं. बता दें कि देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में स्थित चारधाम यात्रा (Chardham Yatra 2025) में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ (Badrinath) की यात्रा शामिल है.
चारधाम यात्रा नहीं कर सकते तो क्या करें
चारधाम की यात्रा जितनी पुण्यदायी होती है, उतनी कठिन भी होती है. इसलिए हर व्यक्ति यह यात्रा करने मे असमर्थ होता है. अगर आप भी किसी कारण चारधाम की यात्रा पर नहीं जा रहे तो मथुरा के गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करें. कहते हैं तो जो लोग चारधाम की यात्रा किसी भी कारण से नहीं कर पाते, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) का स्मरण करते हुए गोवर्धन पर्वत की यात्रा जरूर करनी चाहिए. इस पर्वत की परिक्रमा से भी चारधाम यात्रा के समान ही पुण्यफल मिलता है.
कैसे करें परिक्रमा
गोवर्धन पर्वत की यात्रा 21 किलोमीटर की है, जिसे पूरा करने में व्यक्ति को 7 से 8 घंटे का समय लग जाता है. इसलिए इस परिक्रमा को दो भागों में किया जाता है. छोटी परिक्रमा 3 कोस यानी 6 किलोमीटर की होती है और बड़ी परिक्रमा 4 कोस यानी लगभग 12 किलोमीटर की होती है. परिक्रमा शुरू करने से पहले मानसी गंगा में स्नान करना चाहिए और फिर परिक्रमा की शुरुआत करनी चाहिए. इस बार का ध्यान रखें कि परिक्रमा के दौरान गोवर्धन पर्वत आपके दाईं होना चाहिए. परिक्रमा के दौरान मार्ग में कई पवित्र स्थल से राधा कुंड, श्यामा कुंड, दान घाटी मंदिर, मुखारविंद, कुसुम सरोवर आदि मिलते हैं. मान्यता है कि, गोवर्धन पर्वत की दण्डवती परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
श्रीकृष्ण की लीलाओं में एक है गोवर्धन पर्वत
ब्रज में श्रीकृष्ण ने बाल्यकाल से ही कई लीलाए दिखाईं, जिसमें गोवर्धन पर्वत से जुड़ी लीला भी एक है, जहां आपको श्रीकृष्ण की लीलाओं के दर्शन प्राप्त होंगे. श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ ऊंगली से गोवर्धन पर्तव को उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी.
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