
शहबाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री।
इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद घबरा गया है। उसे अब अपना पैसा डूबने का खतरा सताने लगा है। ऐसे में आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए अपने राहत कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं। इसके साथ ही IMF ने भारत-पाक तनाव को आर्थिक कार्यक्रम के लिए गंभीर जोखिम बताते हुए चेतावनी दी है। यह जानकारी रविवार को सामने आई मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से मिली है।
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, IMF द्वारा जारी स्टाफ-लेवल रिपोर्ट में निम्नलिखित शर्तों का उल्लेख किया गया है-
बजट की संसद से मंजूरी
- अगले वित्त वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये के संघीय बजट को संसद से पारित कराना अनिवार्य।
- बिजली बिलों पर अधिभार में वृद्धि
- उपभोक्ताओं पर पहले से अधिक ऋण पुनर्भुगतान शुल्क लागू होगा।
- पुरानी कारों के आयात पर से प्रतिबंध हटाना।
- चार संघीय इकाइयों द्वारा नया कृषि आयकर कानून लागू करना, जिसमें करदाता पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग, अनुपालन सुधार व
- संचार अभियान शामिल हैं।
- समयसीमा को जून 2025 तक किया जाना।
- IMF सिफारिशों के आधार पर संचालन सुधारों की कार्य योजना प्रकाशित करना।
- 2027 के बाद की वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना।
- ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी चार अतिरिक्त शर्तें, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता शामिल हैं।
भारत के साथ तनाव को बताया खतरा
IMF रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि भारत-पाक तनाव की मौजूदा स्थिति, विशेषकर हालिया सैन्य गतिविधियों के मद्देनजर, पाकिस्तान की राजकोषीय स्थिति, बाह्य खातों (External Accounts) और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों पर सीधा असर पड़ सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, 22 अप्रैल को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत किए गए जवाबी हमलों के बाद तनाव बढ़ा है।
बढ़ा रक्षा बजट और उसका असर
IMF की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये अनुमानित है — जो पिछले वर्ष से 12% अधिक है। लेकिन सरकार ने इस महीने की शुरुआत में 2,500 अरब रुपये (18% वृद्धि) आवंटित करने का इरादा जताया। यह रक्षा खर्च, IMF के राजकोषीय संतुलन लक्ष्यों के विपरीत दिशा में जाता है।
अबतक कुल 50 शर्तें लागू
IMF की नई 11 शर्तों के साथ, पाकिस्तान पर अब कुल 50 शर्तें लागू हो चुकी हैं। ये शर्तें केवल वित्तीय संतुलन ही नहीं, बल्कि संस्थागत पारदर्शिता और शासन सुधार की दिशा में भी गहन हस्तक्षेप को दर्शाती हैं। पाकिस्तान को अब न केवल इन शर्तों को पूरा करना है, बल्कि क्षेत्रीय तनाव को शांत कर आर्थिक स्थायित्व हासिल करने की भी चुनौती है। (भाषा)
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