Bangladesh India Illegal Migrants: बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने शनिवार (17 मई, 2025) को एक बड़ा बयान दिया. उन्होंने साफ किया कि उनके देश में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को उचित राजनयिक प्रक्रिया के माध्यम से वापस भारत भेजा जाएगा.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत ने अपने यहां मौजूद अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें डिपोर्ट करना शुरू कर दिया है. इस तरह से मोहम्मद यूनुस भारत के नक्शे कदम पर चल कर अवैध तरीके से रहने वाले लोगों पर एक्शन लेने का मन बना लिया है.
बांग्लादेश के गृह सलाहकार ने कहा, ‘हम भारत की तरह दबाव बनाने की नीति नहीं अपनाते. हम कूटनीति में विश्वास करते हैं. इस मुद्दे को लेकर बांग्लादेश विदेश मंत्रालय द्वारा पहले ही भारत को पत्र भेजा जा चुका है. देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि भारत के साथ लगातार संवाद में हैं.’
घुसपैठ नहीं, प्रक्रिया के तहत प्रत्यावर्तन चाहिए
चौधरी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि भारत भी अगर अपने देश में किसी अवैध बांग्लादेशी को पकड़ता है, तो उसे उचित माध्यमों के जरिये लौटाए. इसी तरह, यदि बांग्लादेश में कोई भारतीय अवैध रूप से रह रहा है, तो उसे भी उसी प्रक्रिया से भारत भेजा जाएगा.’ उन्होंने यह भी दावा किया कि हाल ही में ब्राह्मणबरिया सीमा पर भारत की ओर से कुछ व्यक्तियों को जबरन घुसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB), अंसार बल और स्थानीय निवासियों की मदद से उस प्रयास को विफल कर दिया गया.
भारत में अवैध घुसपैठियों की धरपकड़ जारी
भारत में भी इन दिनों अवैध प्रवासियों की पहचान और गिरफ्तारी को लेकर अभियान तेज कर दिया गया है. विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों में पुलिस ने सैकड़ों बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया है. जांच में पाया गया कि इनमें से कई प्रवासी बिना पासपोर्ट या वीजा के भारत में रह रहे थे और कुछ मामलों में नकली दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया गया था. इन सबको संबंधित न्यायिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद बांग्लादेश प्रत्यावर्तित किया जा रहा है.
शरणार्थी नहीं, घुसपैठियों से निपटना
भारत में शरणार्थियों के लिए स्पष्ट नीति नहीं है और गैरकानूनी तरीके से सीमा पार करने वालों को अकसर “अवैध घुसपैठिया” माना जाता है. ऐसे मामलों में विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 के तहत कार्रवाई की जाती है. यह वही कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने भी बार-बार यह स्पष्ट किया है कि घुसपैठ कोई वैध शरण नहीं है और अगर कोई व्यक्ति बिना वैध दस्तावेजों के पाया जाता है, तो उसे कानूनन वापस भेजा जाना चाहिए.
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