
कुंभ मेला 2025
प्रयागराज महाकुंभ में देश के कोने-कोने से भक्त पहुंचे थे। करोड़ों लोगों ने महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई। अगर आप इस बार कुंभ में स्नान नहीं कर पाए हैं तो आपके लिए एक और मौका आने वाला है। करीब बारह साल बाद अब उत्तराखंड में कुंभ लगने जा रहा है। ये पुष्कर कुंभ बद्रीनाथ धाम के माणा गांव के पास सरस्वती नदी के संगम पर लगेगा। ये वही जगह है जहां से पांडव स्वर्ग की ओर गए थे। इसलिए कहा जाता है कि यहीं से स्वर्ग का रास्ता जाता है। पुष्कर कुंभ केशव प्रयाग में शुरू होने जा रहा है, जो 15 मई से 26 मई तक चलने वाला है। अगर आप यहां स्नान करना चाहते हैं तो जान लें पुष्कर कुंभ कैसे पहुंच सकते हैं और पुष्कर कुंभ की धार्मिक मान्यताएं क्या है?
कैसे पहुंचे पुष्कर कुंभ मेला
पुष्कर कुंभ मेला बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर दूर भारत के आखिरी गांव में लगता है। इस पावन अवसर पर भारत के अलग अलग राज्यों के लोग यहां पहुंचते हैं। अगर आप दिल्ली से पुष्कर कुंभ जाना चाहते हैं तो इसके लिए बस या ट्रेन से सफर की शुरुआत करनी होगी। आप अपनी कार से सीधे यहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली से माणा गांव की दूरी 546 किलोमीटर की है। इस सफर को तय करने के लिए आपको 12 से 13 घंटे लग सकते हैं। दिल्ली से हरिद्वार तक जाने के बाद आप ऋषिकेश जाएं। माणा गांव जाने का रूट बद्रीनाथ और जोशीमठ कस्बों के साथ NH-58 के जरिए ऋषिकेश से सीधा जुड़ा हुआ है। इसी रास्ते से आपको भारत के आखिरी गांव माणा का रास्ता मिल जाएगा। यहां कुंभ में स्नान करने का बाद आप माणा गांव भी घूम सकते हैं। इसके साथ ही आप बद्रीनाथ केदारनाथ के दर्शनों के लिए भी निकल सकते हैं।
पुष्कर कुंभ की धार्मिक मान्यता क्या हैं?
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं की मानें तो के माणा गांव के पास केशव प्रयाग वो जगह है जहां महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की थी और महाभारत की रचना की थी। कहा तो ये भी जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य माध्वाचार्य और रामानुजाचार्य ने भी इसी जगह पर ज्ञान प्राप्त किया था। जिसके चलते केशव प्रयाग में स्नान और पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
कब से कब तक लगेगा पुष्कर कुंभ
12 साल में एक बार ज्ञान रूपी गंगा, मां सरस्वती और अलकनंदा के संगम केशव प्रयाग पर पुष्कर कुंभ मेला का आयोजन होता है। 15 मई से पुष्कर कुंभ मेले की शुरुआत हो चुकी है। ये मेला 26 मई तक चलेगा। तो आप भी पुष्कर कुंभ में स्नान करने और गंगा, सरस्वती और अलकनंदा का आशीर्वाद लेने पहुंच सकते हैं।
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