सेबी कर रहा जेन स्ट्रीट की जांच, ट्रेडिंग फर्म पर हैं मैनिपुलेशन के आरोप – sebi is investigating against jane street trading firm is facing charge of market manipulation

सेबी जेन स्ट्रीट की जांच कर रहा है। जेन स्ट्रीट एक बड़ी ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म है, जिस पर मैनिपुलेटिव प्रैक्टिसेज के आरोप हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने मनीकंट्रोल को यह बताया कि इस जांच के दायरे में जेन स्ट्रीट से जुड़ी दूसरी कंपनियां भी आएंगी। इनमें जेएसआई इनवेस्टमेंट्स और जेन स्ट्रीट सिंगापुर शामिल है। जेएसआई इनवेस्टमेंट्स के जरिए ही जेन स्ट्रीट इंडिया में ऑपरेट करती है। इस बारे में मनीकंट्रोल की तरफ से भेजे गए सवालों का जवाब जेन स्ट्रीट ने नहीं दिया।

सेबी की जांच एनएसई की जांच से अलग

सूत्रों के मुताबिक, SEBI उस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के इस्तेमाल की जांच कर रहा है, जिसके तहत यह कंपनी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में बड़े पोजीशन लेती है और फिर अंडरलाइंग इंडेक्स को अपनी पोजीशन से प्रॉफिट में डाल देती है। सेबी की यह जांच एनएसई की उस जांच से अलग है, जिसमें वह जेन स्ट्रीट की फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर इकाई जेन स्ट्रीट सिंगापुर की जांच कर रहा है। मनीकंट्रोल ने खबर दी थी कि एक्सचेंज के सर्विलांस सिस्टम ने जेन स्ट्रीट के कुछ डेरिवेटिव ट्रेड्स को लेकर खतरे की घंटी बजाई थी।

कई फंड मैनेजर्स ने मैनिपुलेशन की शिकायत की थी

सेबी एक्सचेंज से उसकी जांच के बारे में जानकारी मांग सकता है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि सेबी की जांच का ज्यादा फोकस उस चिंता पर है, जिसे कई फंड मैनेजरों ने मार्केट मैनिपुलेशन के संदेह के बाद व्यक्त किया था। कई पक्षों से शिकायत मिलने के बाद सेबी ने अपनी जांच शुरू की। कुछ हेज फंड मैनेजर्स ने मनीकंट्रोल को पहले बताया था कि उन्होंने मार्केट में कुछ असामान्य वहेबियर के बारे में रेगुलेटर को बताया था।

डेरिवेटिव की कीमतों में बगैर वजह तेज मूवमेंट

आम तौर पर डेरिवेटिव प्राइसेज अंडरलाइंड एसेट के मुताबिक चलते हैं या उन पर अंडरलाइंग एसेट में होने वाली मूवमेंट का असर पड़ता है। इस मामले में यह इंडेक्स था। इंडियन मार्केट्स में चीजें थोड़ी अलग हो सकती हैं। कुछ हेज फंड मैनेजर्स का यह कहना था कि उन्हें डेरिवेटिव में कीमतों में तेज मूवमेंट देखने को मिला। उसके बाद इसे सही ठहराने के लिए अंडरलाइंग एसेट में प्राइस मूवमेंट देखने को मिला। इसकी वजह फंड मैनेजर्स ने ‘वायलेंट एक्सपायरी डेज’ बताई है।

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मार्केट में असामान्य विहैब देखने को मिला

‘वायलेंट एक्सपायरी डेज’ की तरह ‘क्वाइट एक्सपायरी डेज’भी होता है। एक फंड मैनेजर ने मनीकंट्रोल को बताया, “ये एक्सपायरी डेज तब होते हैं जो ऑप्शन के प्राइसेज आधा या जितना होना चाहिए उससे आधा होते हैं। इसके बाद मार्केट में असामान्य शांति दिखती है।” ऑप्शन प्राइसेज को एक्सपोजर रिस्क का आईना माना जाता है। लेकिन, ये ऑप्शंस पाइसेज दूसरे तरह से विहेब करते दिख रहे थे।

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