जामिया में तिरंगा मार्च सेंटेनरी गेट से शुरू होकर डीएसडब्ल्यू लॉन पर समाप्त हुआ. कुलपति ने प्रधानमंत्री के नेतृत्व की तारीफ की और युवाओं से देश के लिए समर्पण की अपील की,
जामिया के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA JMI) ने तिरंगा मार्च की आलोचना करते हुए कहा, “यह जामिया प्रशासन की युद्धोन्मादी सोच को दर्शाता है, सैन्य कार्रवाई का जश्न मनाना उन निर्दोष लोगों का अपमान है जो युद्ध में मारे जाते हैं, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से आम नागरिकों की जान और शांति खतरे में पड़ जाती है.”
पहलगाम हमले के बाद बढ़ीं नफरत फैलाने वाली घटनाएं- AISA
AISA ने बताया कि पहलगाम हमले के बाद मुस्लिमों और कश्मीरियों पर देशभर में नफरत फैलाने वाली घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, APCR की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे 184 मामलों की पुष्टि हुई है, इसके लिए AISA ने बीजेपी आईटी सेल और कॉरपोरेट मीडिया को जिम्मेदार बताया और आरोप लगाते हुए कहा कि इनके द्वारा झूठी खबरें फैलाकर युद्ध की भावना को भड़काया जा रहा है,
‘शांति की आवाजों को दबा रही है सरकार’
जामिया के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि सरकार शांति की आवाजों को दबा रही है. स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमला कर रही है. AISA के अनुसार, “कश्मीर लंबे समय से सैन्य दबाव, मानवाधिकार उल्लंघनों और राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रहा है, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी कई निर्दोष नागरिक मारे गए और घायल हुए,”
मारे गए नागरिकों के परिजनों को मुआवजा क्यों नहीं मिला?
AISA के अनुसार आगे कहा गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए भाषण में भी कई अहम सवालों को नजरअंदाज कर दिया गया. पीएम मोदी ने अपने भाषण में पहलगाम हमले के दोषियों का क्या हुआ, सीमा पर मारे गए नागरिकों को मुआवजा क्यों नहीं मिला और अमेरिका द्वारा युद्ध विराम की पेशकश पर भारत की क्या स्थिति है, के बारे में पीएम ने कोई जिक्र नहीं किया.
‘तिरंगा मार्च का लोगों में गया गलत संदेश’
AISA का मानना है कि विश्वविद्यालय लोकतंत्र, बहस और असहमति का मंच होना चाहिए, न कि सरकार की भक्ति और डर की जगह, जब छात्रों की आवाजें दबाई जा रही हैं, कैंपस पर निगरानी और दमन बढ़ रहा है, तो प्रशासन का ऐसा मार्च गलत संदेश देता है. AISA ने सभी छात्रों और जामिया समुदाय से अपील की है कि वे युद्ध, नफरत और अन्याय की राजनीति का विरोध करें और शांति, न्याय और लोकतंत्र के समर्थन में आवाज उठाएं.
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