Gold Silver Kangan: चौंकिए मत! आपकी कलाई का कंगन आपका भाग्य भी बदल सकता है. भारत में आभूषण या गहनों का प्रयोग केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि पॉजिटिव एनर्जी, हेल्थ और ज्योतिषीय उपाय के तौर पर भी पहनने की मान्यता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत धातु से बना कंगन आपके जीवन में दुर्भाग्य, मानसिक तनाव और आर्थिक संकट का कारण भी बन सकता है?
लग्न और ग्रहों से तय होता है कौन-सी धातु आपके लिए शुभ है
ज्योतिष के अनुसार सोने का कंगन तभी पहनना चाहिए जब आपकी कुंडली में सूर्य, बृहस्पति या मंगल ग्रह मजबूत हों, अन्यथा इस धातु के कंगन, कड़ा आदि नहीं पहनना चाहिए. वहीं यदि आपकी कुडली का लग्न मेष, सिंह या धनु है तो सोने का कंगन पहन सकते हैं.
वहीं अक्सर मानसिक थकान या आत्मविश्वास की कमी महसूस करने वाले भी सोने के कंगन या कड़ा पहन सकते हैं. इसके अलावा जो लोग राजनीति या प्रशासन अथवा शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं वे भी सोने का कंगन धारण कर सकते हैं. सोने के लिए शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि ‘सुवर्णं तेजसां भूषणम्’ यानि स्वर्ण तेज का प्रतीक है और आत्मबल को जाग्रत करता है.
चांदी का कंगन किसे पहनना चाहिए
चांद का कंगन या कड़ा तभी पहनने की सलाह दी जाती है जब आपकी कुंडली में चंद्रमा, शुक्र या बुध बलवान हों. इसके साथ ही चांदी का कंगन उन लोगों के लिए विशेष शुभ होता है जिनका लग्न कर्क, वृषभ या कन्या है.
वहीं जिन लोगों को मानसिक अशांति की समस्या बनी रहती है, अनिद्रा या त्वचा रोग सताते हैं तो भी चांदी का कंगन या कड़ा पहन सकते हैं. वहीं जो लोग कलात्मक क्षेत्र से संबंध रखते हैं या फिर चिकित्सा या किसी सर्विस प्रोवाइडर कार्यों से जुड़े हैं उनके के लिए भी चांदी का कंगन शुभ माना गया है.
शास्त्रों में इस धातु को लेकर कहा गया है कि ‘रजतं शीतलता दायकं’ यानि चांदी मन को शांत करती है और शारीरिक रोगों को दूर करती है.
इन भ्रमों से दूर रहें
सोना या चांदी किसे पहनना चाहिए और किसे नहीं इसे लेकर कई तरह के भ्रम भी देखने को मिलते हैं जैसे ‘महिलाएं चांदी और पुरुषों को सोना पहनना चाहिए’, जबकि हकीकत ये है कि यह महज आधुनिक मिथक है, शास्त्रों में ऐसा कुछ नहीं कहा गया. वहीं ‘जो अच्छा दिखे, वही पहन लो’ ऐसा भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सोच आपकी कुंडली में बैठे ग्रहों की शुभता को अशुभता में बदल सकती है.
आयुर्वेद और ऊर्जा विज्ञान क्या कहते हैं?
ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों के साथ सोना और चांदी का जिक्र आयुर्वेद और ऊर्जा विज्ञान में भी प्रमुखता से मिलता है. आयुर्वेद के अनुसार सोना गर्म प्रकृति का होता है, यह शरीर में पित्त को बढ़ाता है.
जबकि चांदी ठंडी होती है, यह वात और कफ दोष को संतुलित करती है. यदि कोई बार-बार बीमार पड़ता है, तो आयुर्वेद के जानकार कभी-कभी धातु बदलने की भी सलाह देते हैं.
सही धातु का कंगन पहनना क्यों ज़रूरी है?
कंगन फैशन की चीज बाद में है पहले इसका ज्योतिषीय, धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व पहले. क्योंकि इन धातुओं के बारे में ग्रंथों में हजारों साल पहले ही बता दिया गया था. इसके लाभ और हानि के बारे में जिक्र मिलता है. इसलिए सोना या चांदी का कंगन तभी पहनना चाहिए जब-
- जीवन में कोई संकट हो
- काम में रुकावटें आ रही हों
- सामाजिक अपमान की स्थिति बनती हो
- आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं
इन स्थितियों में किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह के बाद ही कंगन धारण करना चाहिए. यदि ऐसा करते हैं तो जीवन में मिल रही चुनौतियों को कम कर सकते हैं और असफलता को सफलता में बदल सकते हैं.
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