
लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण… दमादम मस्त कलंदर’ ये सूफी संगीत कई लोगों का पसंदीदा है लेकिन क्या आप इसके मायने जानते हैं इसमें मस्त कलंदर किसे कहा गया है. आइए जानें.

‘दमादम मस्त कलंदर’ का गीत सूफी कवि अमीर ख़ुसरो ने बाबा लाल शाहबाज़ कलंदर के सम्मान में ही लिखा था. पाकिस्तान के सिंध प्रांत सहवान में लाल शाहबाज कलंदर की प्रसिद्ध दरगाह है.

‘दमादम मस्त कलंदर’का मतलब है, हर सांस, दम में मस्ती रखने वाला फकीर यानी कलंदर. लाल शाहबाज कलंदर के संबोधन में इसकी रचना की थी। बाद में इसमें कुछ पंक्तियां बाबा बुल्लेशाह ने भी जोड़ीं.

लाल शाहबाज कलंदर ही झूलेलाल कलंदर हैं. पाकिस्तान के सेहवन में रहने वाले सूफी दार्शनिक और संत लाल शाहबाज कलंदर का असली नाम सैयद मुहम्मद उस्मान मरवंदी था. कहा जाता है कि वह लाल वस्त्र धारण करते थे, इसलिए उनके नाम के साथ लाल जोड़ दिया गया.

ऐसा माना जाता है कि शहबाज कलंदर सिंध प्रांत के हिंदुओं के लोकप्रिय संत झूलेलाल के पुनर्जन्म है. कलंदर पश्तो, फारसी, तुर्की, अरबी, सिंधी और संस्कृत के जानकार थे.

कहते हैं कि पाकिस्तान में स्थिति लाल शाहबाज की दरगाह पर पहले हिंदू भी जाया करते थे. उनकी दरगाह पर हर मजहब के मानने वालों की भारी भीड़ की एक वजह यह भी है कि शाहबाज कलंदर कर्मकांड की बजाय दिल के हाल पर ज्यादा जोर देते थे और कहते थे कि ‘जो भी करना है, दिल से करो’
Published at : 14 May 2025 05:05 PM (IST)
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Damadam Mast Qalandar Lal Shahbaz Qalandar
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