Yogi Government Will Make Farmers Prosperous By Cultivating Vegetables And Fruits

लखनऊ। देश की श्रम शक्ति का करीब 40 फीसद हिस्सा कृषि क्षेत्र में समायोजित है। फिर भी प्रच्छन्न बेरोजगारी इस सेक्टर की सबसे बड़ी समस्या है। किसान परंपरागत खेती की जगह स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार खेती करें, यही इस समस्या का प्रभावी हल है। हाल ही में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने भी एक साक्षात्कार में कमोबेश यही बातें कहीं। उनके मुताबिक कृषि क्षेत्र का फोकस मुख्य रूप से दो चीजों पर होना चाहिए। खेती वह जिससे किसानों की जेब भरे। किसान वैश्विक मांग के अनुसार उत्पादन करें। इस सलाह के अनुसार फलों एवं सब्जियों (Vegetables-Fruits) की खेती की अहमियत बढ़ जाती है। इनकी खेती में परंपरागत खेती की तुलना में करीब दो से ढाई गुना तक लाभ है। श्रम बाहुल्य खेती होने के कारण इनमें श्रम शक्ति का भी बेहतर समायोजन होता है। इनसे मिलने वाली खाद्य एवं पोषण सुरक्षा बोनस जैसा है। यही वजह है कि योगी सरकार का सब्जी और बागवानी की खेती, इनके प्रसंस्करण और निर्यात पर खासा जोर है। इसके लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है।

प्रसंस्करण पर जोर, हर जिले में एक हजार इकाई लगाने का लक्ष्य

अगर स्थानीय स्तर पर सब्जी और फलों की प्रसंस्करण इकाइयां लगा दी जाएं तो फलों और सब्जियों (Vegetables-Fruits) की नर्सरी, पौधरोपण, परिपक्व फलों एवं सब्जियों की तुड़ाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग और विपणन तक मिलने वाले रोजगार की संख्या कई गुना हो जाएगी। फलों और सब्जियों की खेती, उसकी उत्पादकता एवं गुणवत्ता सुधारकर किसानों को स्थानीय बाजार में या निर्यात बढ़ाकर बेहतर दाम दिलवाने का संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रसंस्करण पर खासा फोकस है।

सरकार का लक्ष्य हर जिले में छोटी-बड़ी एक हजार प्रसंस्करण इकाइयां लगाने का है। प्रधानमंत्री खाद्य उन्नयन योजना के तहत इकाई लगाने वाले लाभार्थी को 35 फीसद अनुदान पर 30 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अभी तक करीब 17 हजार प्रसंस्करण इकाइयां लग भी चुकी हैं। इकाई अगर किसी महिला की है और वह इसके लिए सोलर प्लांट लगवाना चाहती है तो प्लांट पर सरकार उसे 90 फीसद तक का अनुदान देती है।

फूलों, सब्जियों  की खेती के लिए बाराबंकी में खुलेगा इंडो डच सेंटर फॉर एक्सीलेंस

फूलों और सब्जियों (Vegetables-Fruits) की खेती के लिए बाराबंकी के त्रिवेदीगंज में सात हेक्टेयर जमीन में इंडो डच सेंटर फॉर एक्सीलेंस खोला जाएगा। इसके लिए नीदरलैंड के विशेषज्ञों के साथ बैठक में दोनों पक्षों में सहमति भी बन चुकी है। इस सेंटर में शोध कार्य होंगे और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

निर्यात बढ़ाने लिए किए जा रहे प्रयास

योगी सरकार फलों एवं सब्जियों (Vegetables-Fruits) का निर्यात बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाएं विकसित कर रही हैं। उसके फोकस में यूरोपियन और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के संभावनायुक्त बाजार हैं। इन देशों में खाद्य पदार्थों के निर्यात के मानक बेहद सख्त हैं। इसके मद्देनजर सरकार एशिया के सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट  जेवर के पास एक्सपोर्ट हब बना रही है। इसी क्रम में लखनऊ के औद्योगिक क्षेत्र नादरगंज में पहला गामा रेडिशन प्लांट बनकर तैयार है। इस प्लांट से ट्रीट फल एवं सब्जियों में किसी तरह का संक्रमण नहीं रहेगा। इनको लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकेगा।

संभावनाएं

कोविड के बाद सेहत को लेकर लोगों की सेंसटिविटी बढ़ी है। इसीलिए कृषि एवं खाद्य पदार्थों की स्थानीय स्तर पर मांग के साथ निर्यात भी बढ़ा है। बढ़ती शिक्षा, बेहतर होती आर्थिक स्थिति और सेहत के प्रति जागरूकता के कारण इस मांग में लगातार वृद्धि ही होनी है। हो भी रही है। मांग बढ़ने से उत्पादन भी बढ़ रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक के दौरान प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति फलों और सब्जियों की उपलब्धता में सात से बारह किलोग्राम तक बढ़ी है।

इसी क्रम में प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग भी बढ़कर क्रमशः 227 और 146 किलोग्राम हो गई है। इसमें उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक योगदान है। क्योंकि फलों और सब्जियों (Vegetables-Fruits) के उत्पादन के मामले में वह देश में नंबर एक है। इस नंबर एक होने की वजह इससे जुड़े लघु सीमांत किसानों को फोकस कर योगी सरकार द्वारा शुरू की गईं योजनाएं हैं। खासकर सिंचित रकबे का विस्तार, नलकूपों को फ्री बिजली, स्थानीय स्तर पर सेंटर फॉर एक्सीलेंस से सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जा रहे उन्नत प्रजाति के स्वस्थ पौधे आदि।

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