Hanuman Ji aarti on Bada Mangal fear troubles and obstacles will be removed

Hanumaan Aarti: बड़ा मंगलवार का दिन हनुमान जी की आराधना के लिए अत्यंत पुण्यकारी और शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान हनुमान को शक्ति, साहस, भक्ति और संकटों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि जो श्रद्धालु इस दिन पूर्ण श्रद्धा एवं विधिपूर्वक व्रत और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उन्हें जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, परिवार में सुख-शांति आती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

इस दिन की पूजा की एक विशिष्ट विधि है. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ लाल या केसरिया वस्त्र धारण करें. घर के पूजास्थल या मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति अथवा चित्र की स्थापना करें. उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल, गुड़-चना, जनेऊ, और तुलसी पत्र अर्पित करें. हनुमान जी को विशेष रूप से बूंदी के लड्डू, फल, और पान का भोग लगाया जाता है. धूप-दीप जलाकर श्रद्धा से “हनुमान चालीसा”, “बजरंग बाण” या “सुंदरकांड” का पाठ करें.

पूजन के बाद हनुमान आरती करें और उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें. इस दिन उपवास रखने वाले को सात्विक आहार का पालन करना चाहिए. लहसुन, प्याज, मांसाहार एवं तीखे-तामसिक भोजन से बचना चाहिए. पूर्ण मन से उपासना करने पर मानसिक संतुलन, आत्मबल और इच्छाशक्ति की वृद्धि होती है.

दान-पुण्य भी इस दिन का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है. निर्धनों को अन्न, वस्त्र, लाल चंदन या दक्षिणा का दान करना पुण्यदायक होता है. इससे जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति आती है. विशेषकर मंगल दोष से पीड़ित जातकों के लिए यह दिन विशेष लाभदायक होता है.

पूजा के अंत में “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र का जाप अवश्य करें. हनुमान जी की भक्ति और नामस्मरण से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, साहस और निर्भयता का संचार होता है.

  हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे,
रोग-दोष जाके निकट न झांके।

अंजनि-पुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए,
लंका जारि सिया सुधि लाए।

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे,
सियारामजी के काज सवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे,
आनि संजीवन प्राण उबारे।
पैठि पाताल तोरि जमकारे,
अहिरावण की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुर दल मारे,
दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारैं,
जय जय जय हनुमान उचारैं।

कंचन थार कपूर लौ छाई,
आरति करत अंजना माई।
जो हनुमानजी की आरती गावे,
बसि बैकुंठ परमपद पावे।

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