India and Pakistan ceasefire Defence Minister Khawaja Asif has expressed the possibility of future talks on Kashmir Indus Water Treaty operation sindoor

India-Pakistan Ceasefire: चार दिन तक चले गंभीर सैन्य तनाव और गोलाबारी के बाद जब भारत और पाकिस्तान ने शनिवार (10 मई) को सीमा पर संघर्ष विराम की घोषणा की, तब पूरे क्षेत्र में राहत की लहर दौड़ गई. लेकिन इसके अगले ही दिन पाकिस्तान की ओर से एक चौंकाने वाला और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बयान सामने आया है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि यदि भविष्य में भारत के साथ बातचीत होती है तो कश्मीर, सिंधु जल संधि (IWT) और आतंकवाद जैसे विषय एजेंडा में शामिल हो सकते हैं.

एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “ये तीन अहम मुद्दे हैं जिन पर चर्चा हो सकती है. हम सीजफायर पर कायम रहेंगे.” उनके बयान ने भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण रिश्तों में एक नई संभावित दिशा की ओर इशारा किया है. गौरतलब है कि भारत इन तीनों मुद्दों पर पहले से ही स्पष्ट रुख रखता रहा है – खासतौर पर आतंकवाद और सीमा पार घुसपैठ को लेकर.

संघर्ष विराम या आपसी समझ? 

इस बयान की टाइमिंग भी काफी अहम मानी जा रही है. भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को भूमि, वायु और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाई रोकने का “समझौता” हुआ था. जहां पाकिस्तान इसे ‘सीजफायर समझौता’ बता रहा है, वहीं भारत ने इसे केवल ‘आपसी समझ’ करार दिया है. इस अंतर को लेकर दोनों देशों की धारणा और रणनीतिक उद्देश्य स्पष्ट झलकते हैं.

भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी लॉन्चपैड्स पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान की तरफ से भी सीमित जवाबी हमले हुए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया. 

आसिफ के बयान के पीछे की रणनीति 

विशेषज्ञ मानते हैं कि ख्वाजा आसिफ का यह बयान पाकिस्तान की ओर से एक ‘सॉफ्ट-डिप्लोमेसी’ का प्रयास है. देश की आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए पाकिस्तान शांति की पहल करके वैश्विक समुदाय को यह संदेश देना चाहता है कि वह तनाव नहीं चाहता.

उन्होंने यह भी कहा कि अगर मौजूदा संघर्ष विराम स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम साबित होता है, तो यह एक सकारात्मक संकेत माना जाएगा. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी कुछ भी कह पाना जल्दबाज़ी होगी.

सहयोगी देशों का आभार 

ख्वाजा आसिफ ने चीन, तुर्किये, अज़रबैजान और खाड़ी देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों ने मौजूदा संकट के दौरान कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा. उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भारत की लीडरशिप भी पूरे दक्षिण एशिया के भविष्य को प्राथमिकता देगी.

भारत की ओर से प्रतिक्रिया? 

भारत सरकार की ओर से अब तक ख्वाजा आसिफ के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन रक्षा और विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत, खासकर मोदी सरकार, आतंकवाद जैसे विषयों पर किसी भी वार्ता की शुरुआत तभी करेगा जब पाकिस्तान स्पष्ट और ठोस कदम उठाए.

भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. ऐसे में यदि पाकिस्तान शांति वार्ता की दिशा में गंभीर है तो उसे पहले अपने घरेलू स्तर पर आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करना होगा.

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