India Pakistan News: भारत की तरफ से 7 मई 2025 को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाए जाने के बाद पाकिस्तान में हलचल तेज हो गई है. खासकर जब भारत ने लाहौर में स्थित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया, तब पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की 9 मई को हुई बैठक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा.
यह बैठक इस ओर संकेत करती है कि इस्लामाबाद अब अपनी परमाणु और मिसाइल नीति पर रणनीतिक पुनर्विचार कर रहा है, और भारत के सख्त सैन्य जवाब के बाद वह किसी बड़े कदम की तैयारी में भी हो सकता है. नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) पाकिस्तान की सबसे उच्च नागरिक-सैन्य निर्णय लेने वाली संस्था है, जिसका दायित्व परमाणु नीति बनाना है. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण फैसले लेना है, जो इस प्रकार है.
-मिसाइल प्रोग्राम की निगरानी करना
-रणनीतिक संपत्तियों की सुरक्षा
-युद्धकालीन परमाणु निर्णय लेना
इसकी स्थापना साल 2000 में की गई थी, जिसका मुख्यालय इस्लामाबाद में हैं. इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, जिसकी बागडोर वर्तमान में शहबाज शरीफ के हाथों में है.
NCA की संरचना और सदस्य
NCA की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें कई अन्य मंत्री और अधिकारी शामिल होते हैं, जो इस प्रकार है.
विदेश मंत्री: इशाक डार
रक्षा मंत्री: ख्वाजा आसिफ
सेना प्रमुख: जनरल असीम मुनीर
नौसेना प्रमुख: एडमिरल नवेद अशरफ
वायुसेना प्रमुख: एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर
चीफ ऑफ जॉइंट स्टाफ कमेटी: जनरल सहिर शमशाद मिर्जा
गृह मंत्री और वित्त मंत्री भी इसमें शामिल होते हैं. इस समिति के निर्णय मतदान या आम सहमति के आधार पर होते हैं. इसके निर्देशों को Strategic Plans Division (SPD) लागू करता है, जिसका नेतृत्व एक लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के सैन्य अधिकारी करते हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद की रणनीति
7 मई को भारत की तरफ से 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल मिसाइल हमलों के बाद, पाकिस्तान ने फतेह-1 मिसाइल दागने की कोशिश की, जिसे भारतीय वायु रक्षा प्रणालियों ने हवा में ही निष्क्रिय कर दिया. ऐसे में NCA की बैठक एक रणनीतिक चिंतन का संकेत देती है कि क्या पाकिस्तान परमाणु हथियारों के उपयोग की योजना बना रहा है?विश्लेषकों के अनुसार, यह बैठक पाक सेना के दबाव और NCA की भूमिका में सैन्य वर्चस्व के संकेत भी देती है.
परमाणु नियंत्रण पर सेना का प्रभाव
हालांकि NCA की संरचना में नागरिक नेतृत्व प्रमुख रूप से शामिल होता है, लेकिन युद्धकाल या सैन्य संकट के समय निर्णय लेने में सेना का दबदबा अधिक होता है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) की रिपोर्ट के अनुसार युद्ध जैसे हालात में पाकिस्तान की परमाणु नीति पर अंतिम निर्णय सेना के हाथों में ही होता है.
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