अमेरिका चाहता है तनाव जल्द से जल्द कम हो, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन का बयान

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से बौखलाकर पाकिस्तान की सेना ने गुरुवार रात भारत के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, लेकिन भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। वहीं, तनाव के बीच प्रधानमंत्री के आवास पर आज हाईलेवल मीटिंग की गई। इस मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिसरी मौजूद थे। यह बैठक मौजूदा भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात में काफी अहम मानी जा रही है। इसी बीच व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने भारत-पाकिस्तान तनाव को लेकर वाशिंगटन में मीडिया को ब्रीफिंग की।

क्या कहा व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने?

भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता के अमेरिकी प्रयासों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि ‘यह कुछ ऐसा है जिसमें विदेश मंत्री और अब हमारे एनएसए मार्को रुबियो भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि यह तनाव जल्द से जल्द कम हो जाए। राष्ट्रपति (ट्रंप) का दोनों देशों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ओवल ऑफिस में आने से बहुत पहले से समझते हैं कि ये दोनों देश दशकों से एक-दूसरे के साथ मतभेद रखते हैं, लेकिन उनकेदोनों देशों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों देशों के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं और इस संघर्ष को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।’

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एस जयशंकर ने मार्को रुबियो से की थी बात

इससे पहले गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के किसी भी उकसावे वाले प्रयास का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प पर जोर दिया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बातचीत में विदेश मंत्री जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ काम करने की वाशिंगटन की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने बातचीत के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ‘सीमा पार आतंकवाद के प्रति भारत की लक्षित और संतुलित प्रतिक्रिया को रेखांकित किया। तनाव बढ़ाने के किसी भी प्रयास का दृढ़ता से मुकाबला किया जाएगा।’ इस बीच, रुबियो ने तत्काल तनाव कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया और भारत-पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत के लिए अमेरिकी समर्थन व्यक्त किया। इसके साथ ही संचार में सुधार के लिए निरंतर प्रयासों को भी प्रोत्साहित किया।

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