dia mirza: अभिनेत्री दीया मिर्जा विगत ढाई दशक से इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. दीया मौजूदा समय को अपने लिए बेस्ट करार देती हैं. वह अलग-अलग तरह की फिल्मों और वेब सीरीज का हिस्सा बन रही हैं. एक वक्त था, जब उनकी खूबसूरती की वजह से उन्हें काम नहीं मिलता था, लेकिन अब इंडस्ट्री में अलग-अलग भूमिकाओं के लिए उन्हें अप्रोच किया जा रहा है. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि 40 प्लस होने के बावजूद उन्हें काम मिलता रहेगा. इनदिनों वह अपनी वेब सीरीज काफिर के फिल्मी रूपांतरण के लिए चर्चा में हैं.अपने फिल्मी करियर से जुड़ी कई यादें और बातें उन्होंने उर्मिला कोरी से साझा कीं.बातचीत के प्रमुख अंश
शुरुआत में फिल्म ही थी ‘काफिर’
जब मुझे मालूम हुआ कि 2019 में रिलीज हुई मेरी वेब सीरीज ‘काफिर’अब फिल्म के रूप में भी जी 5 पर स्ट्रीम करेगी, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था. मैं बताना चाहूंगी कि शुरुआत में यह फिल्म के तौर पर ही रिलीज होने वाली थी, लेकिन उस वक्त वेब सीरीज का दौर शुरू हुआ था, तो जी 5 ने निर्माता सिद्धार्थ पी मल्होत्रा को इसे वेब सीरीज में डेवेलोप करने को कहा. इसके बाद इसे वेब सीरीज में बदला गया था. लोगों को यह पसंद आयी थी और फिल्म के तौर पर भी लोग इसे पसंद कर रहे हैं. कई लोगों ने तो बताया कि उन्होंने वेब सीरीज नहीं देखी थी, लेकिन फिल्म देखने के बाद वह वेब सीरीज भी देखने वाले हैं.
ओटीटी से जुड़ना कभी रिस्क नहीं लगा
काफिर ओटीटी के लिए जब मैंने की थी. उस वक़्त ओटीटी इतना बड़ा मीडियम नहीं बना था. इसके बावजूद मुझे ये चैलेंज लगा था. रिस्क तो बिलकुल भी नहीं लगा था.उस वक़्त संजू रिलीज हुई थी. मैं उस वक़्त एक एक्टर के तौर पर ऐसे किरदार की तलाश में थी, जिसमें बहुत लेयरिंग हो, तो इस शो का मेरे पास आना बहुत बड़ा और अहम मौका कुछ कर दिखाने का था. मुझे उस वक़्त यह महसूस हुआ कि ओटीटी एक लहर के तौर पर सामने आएगा और फीमेल मैच्योर एक्टर्स को कुछ खास करने का मौक़ा देगा और वही हुआ.
शूटिंग हेक्टिक थी
इस शो की शूटिंग बहुत हेक्टिक थी,लेकिन हमने इसे एन्जॉय किया क्योंकि हमें कहानी से प्यार था.पांच घंटे का यह शो था और इसकी शूटिंग हमने पचास दिन में पूरी कर ली थी.आप सोच सकती हैं कि हमने तीन फिल्मों का काम पचास दिन में किया है.ऐसे में हमें कितने घंटे की शूटिंग करनी पड़ती होगी। मैं बताना चाहूंगी कि हम ऐसी जगहों पर शूट करते थे आमतौर पर जहां शूटिंग नहीं होती थी क्योंकि हमें अपनी कहानी के लिए वैसा माहौल चाहिए होता है.हम अपना सामान उठाते थे और शूट करते थे.कोई वैनिटी वैन नहीं था.हम बस काम कर रहे थे. मौजूदा दौर में एक एक्टर्स के साथ जत्था चलता है.मैं इसमें यकीन नहीं करती हूं. एक आर्टिस्ट के तौर पर हमारी जिम्मेदारी कहानी को बनाने में होती है और जितना हम उस प्रोसेस को सिम्पल रखेंगे. फिल्म के लिए उतना ही अच्छा रहेगा. बहुत ज्यादा कम्फर्ट पाए बिना भी बहुत अच्छा काम हो सकता है.इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही हैं. हमें ये समझना होगा कि ये सब बाहरी चीजें हैं.फिल्म मेकिंग का जो प्रोसेस है. हम उसको जितना सिंपलीफाई करेंगे. उतनी ज्यादा हम कहानियां कह पाएंगे वरना हम नहीं कह पाएंगे. मैं खुद प्रोड्यूसर हूं,तो मुझे पता है कि एक्टर्स को उनका स्ट्रेंथ बनना चाहिए. उनको सपोर्ट करना चाहिए ना कि बेवजह की डिमांड से फिल्म का बजट बढ़ाना चाहिए
काम करने का तरीका अलग था
2001 में मैंने इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया था. उस वक़्त पुरुष सुपरस्टार्स के बहुत सारे डिमांड होते थे.अभिनेत्रियों के ज्यादा कुछ नहीं होते थे.सेट पर सबसे पहले हम ही आ जाते थे.लाइटिंग क्रू , कैमरा डिपार्टमेंट, प्रोडक्शन के साथ एक्ट्रेस. मैं बताना चाहूंगी कि कई बार एक ही हेयर और मेकअप वाला होता था.जो सभी का मेकअप करता था. हमको उससे कोई दिक्कत भी नहीं होती थी.हमने कई अच्छी फिल्में बनायीं थी. हनीमून प्राइवेट लिमिटेड ऐसा ही एक उदाहरण थी.हम सभी लोग साथ में सुबह मेकअप करवाते थे फिर शूट करते थे.मैंने जब अपनी पहली फिल्म लव, ब्रेकअप जिंदगी प्रोड्यूस की थी, तो यही सिस्टम रखा था.
फिल्म मेकिंग मुश्किल हो गयी है
निर्माता के तौर पर बात करूं तो फिल्म मेकिंग अब मुश्किल हो गयी है.फंडिंग मिलना मुश्किल हो गया है.रिकवरी मॉडल्स वर्क नहीं कर रहे हैं। थिएटर में फिल्में चल नहीं रही हैं। पहले तो अगर आपने कोई फिल्म बजट में बनायीं है तो म्यूजिक के सेल्स होते थे.सैटेलाइट सेल्स होते थे. थिएटर में भी थोड़ा बहुत मिल जाता था तो हाथ पैर मारते -मारते फिल्म की रिकवरी हो ही जाती थी.भले ही वह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ना चली हो.आजकल ये मुश्किल है.टिकटों की प्राइस बहुत ज्यादा हो गयी है इसलिए दर्शक ओटीटी का इन्तजार करते हैं.इंडस्ट्री मुश्किल में है.लोगों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।हमारे यहाँ तो एकजुट कुछ होता ही नहीं है. (हंसते हुए ) प्रोड्यूसर गिल्ड भी दो है.
नादानियां की ट्रोलिंग से बुरा लगा
मेरी पिछली फिल्म नादानियां में जिस तरह से इब्राहिम और ख़ुशी की ट्रोलिंग हुई है, वह गलत है. आप किसी फिल्म को अच्छा या बुरा बता सकते हैं, लेकिन इस कदर से टारगेट करना गलत है. सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखने का पावर है, तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि आप किसी के बारे में कुछ भी लिख देंगे. लोग चाहते हैं कि पहली ही फिल्म में एक्टर एकदम परफेक्ट हर चीज में हो तो ऐसा नहीं हो सकता है.आपको पहली फिल्म के हिसाब से जज करना चाहिए, अगर फिर भी जज करना है तो उसकी एक्टिंग पर कीजिये. आप पर्सनल अटैक कैसे कर सकते हैं.
अभिनेत्रियां प्रॉस्टिट्यूट नहीं हैं
सभी को लगता है कि आज के एक्टर्स को बहुत प्रेशर से गुजरना पड़ता है. उन पर 24 घंटे पैपराजी की नजर होती है. हमारे वक्त में सबकुछ अच्छा अच्छा था, ऐसा नहीं था. मैंने 2001 में इंडस्ट्री ज्वाइन किया था. उस वक्त एक शब्द बहुत पॉपुलर था. अगर आपको अपनी फिल्म गर्म करनी है, तो एक्टर और एक्ट्रेस के बीच अफेयर की खबरें चलवा दो. उसके बाद गॉसिप मैगजीन जिस तरह से उसे लिखती थी, उसे पढ़ने के बाद कई बार मैं रोई हूं. ऐसे ही एक फिल्म की रिलीज से पहले एक निर्माता इस तरह की खबरों चलवाने की बात कर रहा था.मैंने निर्माता से यह बात भी कही कि अभिनेत्रियां प्रॉस्टिट्यूट नहीं होती है. एक्टर से जिस्मानी सम्बन्ध रखेंगे तो हमारा करियर आगे बढ़ेंगा.पिक्चर गर्म होगी.अश्लील चीजें सुनते और पढ़ते हो तो वो आपके कॉन्फिडेंस और सम्मान को बहुत ठेस पहुंचाता है, खासकर जब आप बहुत कम उम्र के होते हैं.हालांकि निर्माता पर मेरी बातों का कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने इसे फिल्म प्रमोशन बताया. एक दिन ऐसे ही एक गॉसिप को पढ़कर मैं रो रही थी,तो महेश भट्ट ने मुझे समझाया कि अपना सच तुम जानती हो और वो कोई बदल नहीं सकता है यही बात मायने रखती है और कुछ मत सोचो. उसके बाद मैंने रोना बंद कर दिया.
आने वाले प्रोजेक्ट
अभिनेत्री के तौर पर एक सीरीज की शूटिंग कर रही हूं. धक-धक का प्री प्रोडक्शन काम जोरों पर है. अभिनेत्री के तौर पर मैं काम मांगने से भी हिचकती नहीं हूं.मैं हंसल मेहता, जोया अख्तर, नीरज घेवान जैसे कई डायरेक्टर्स को काम के लिए अप्रोच करती हूं. निर्माता के तौर मैंने एक मराठी शार्ट फिल्म पन्ना का निर्माण किया है. फिल्म कई फेस्टिवल में दिखाई जा रही है और तारीफ के साथ-साथ अवार्ड भी बटोर रही है.ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इस फिल्म को रिलीज करने की भी हमारी प्लानिंग है.
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