Tirth Yatra: धर्मिक स्थलों यानी तीर्थ यात्रा का प्रचलन रामायण और महाभारतकाल से चला आ रहा है , हर व्यक्ति को तीर्थ यात्रा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि तीर्थयात्रा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलु होता है, जो हमारी संस्कृति और ईश्वर से जोड़ता है और उसकी लीलाओं को दर्शाता है.
धार्मिक यात्रा यानी तीर्थ यात्रा का मुख्य उद्देश्य होता है पुण्य फल कमाना लेकिन ये पुण्य तभी प्राप्त होता है जब तीर्थ यात्रा पर कुछ नियमों का पालन किया जाए. आदि शंकराचार्य ने आम लोगों के लिए तीर्थ यात्रा पर जानें के नियम बनाए हैं आप भी जान लें तभी इसका पुण्य मिलता है.
तीर्थ यात्रा पर जानें से पहले जान लें ये 10 बातें
- शास्त्रों के अनुसार, तीर्थ यात्रा पर जाते समय हमेशा जप, तप और दान करना चाहिए. लोगों की मदद करना चाहिए और सच्चे मन से ईश्वर का मन में गुणगान करना चाहिए, जो लोग यह कार्य नहीं करते वह रोग-दोष के भागी होते हैं.
- तीर्थ यात्रा के दौरान किसी का तन या मन से अपमान करने पर सभी पुण्य खत्म हो जाते हैं. यात्रा का फल तभी मिलेगा जब क्रोध, लालच, अहंकार का त्याग कर यात्रा का आनंद लेंगे और भक्ती भाव में लीन होंगे.
अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति। तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति।
- इस श्लोक का अर्थ है कि दूसरी जगह किया गया पापा तीर्थयात्रा करने पर नष्ट हो जाता है लेकिन तीर्थयात्रा में किया गया पाप कहीं भी नष्ट नहीं होता है. ऐसे में भूलकर भी इस दौरान तीर्थयात्रा में अधार्मिक कर्म न करें.
- धार्मिक यात्रा में केवल सात्विक भोजन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, परिवार से झगड़ा न करें. ऐसा करने पर सारा पुण्य पाप में बदल जाता है.
- जो व्यक्ति दूसरों के धन से तीर्थ यात्रा करता है उसे पुण्य का 16वां भाग प्राप्त होता है ऐसे में उधार लेकर धार्मिक यात्रा पर न जाएं. खुद की कमाई से खर्च करें.
- जो दूसरों के कार्य के संबंध से तीर्थ में जाता है उसे यात्रा का आधा फल ही प्राप्त होता है. ईश्वर की भक्ति करने जाएं तो सच्चे मन से एकाग्र होकर जाएं.
- जब कोई व्यक्ति अपने माता-पिता, गुरु, भाई-बहन या फिर किसी अन्य व्यक्ति को पुण्य फल दिलवाने के उद्देश्य से तीर्थ में स्नान करवाने के लिए ले जाता है तो तीर्थ में स्नान करने वाले व्यक्ति को पुण्य फल का 12वां भाग प्राप्त होता है.
- विवाहित हैं तो पति या पत्नी संग ही तीर्थ यात्रा करें. इनके बिना तीर्थ करना अधूरा माना जाता है.
- पीरियड्स के दौरान तीर्थ यात्रा नहीं करना चाहिए, इससे पाप के भागी बनते हैं.
- तीर्थ के मंदिर में बगैर शुद्धकरण के दाखिर होना पाप है.
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