Epidemics After Conflict: जंग उस जगह पर ज्यादा महसूस होती है, जहां गोलियां और बम नहीं गिरते. जब दो देशों के बीच जंग छिड़ती है, तो सिर्फ इंसानी जानें ही नहीं जातीं, बीमारियों का ऐसा सैलाब भी आता है, जो हजारों जिंदगियों को निगल जाता है. गंदा पानी, टूटती स्वास्थ्य सेवाएं और पलायन करती आबादी, ये सब मिलकर ऐसी बीमारियों को जन्म देती हैं, जो अक्सर युद्ध से भी ज्यादा घातक होती है. आज हम बात करेंगे उन बीमारियों की जो जंग के दौरान तेजी से फैलती हैं और जानेंगे कैसे ये खामोशी से तबाही मचाती है.
गंदा पानी पीने को मजबूर लोग
युद्ध के दौरान सबसे ज्यादा असर जल आपूर्ति पर पड़ता है. बमबारी से पाइपलाइनें टूट जाती हैं, गटर सिस्टम खराब हो जाता है और लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हो जाते हैं. इससे हैजा, डायरिया, टायफाइड जैसी बीमारियां तेजी से फैलती हैं.
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संक्रामक से बीमारियों का डर बना रहता है
जंग के हालात में भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे शरणार्थी कैंपों में रहना पड़ता है. वहां पर टीबी, मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारियां बहुत तेजी से फैलती हैं. साफ-सफाई की कमी इन बीमारियों को और खतरनाक बना देती हैं.
मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां बढ़ जाती है
युद्ध का असर केवल शरीर पर नहीं पड़ता, दिमाग पर भी गहरा असर छोड़ता है. डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक बीमारियां युद्ध के बाद आम हो जाती हैं. घायल सैनिकों और वहां रह रहे लोगों के लिए यह एक लंबी जंग होती है.
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी होने लगती है
युद्ध में अस्पताल भी निशाने पर आते हैं. ऐसे में दवाइयों की कमी, डॉक्टरों का पलायन और टूटता इंफ्रास्ट्रक्चर हालात को और बदतर बना देता है. कई बार मामूली बीमारी भी जानलेवा बन जाती है, क्योंकि इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता है.
जंग का असर सिर्फ लड़ाई तक सीमित नहीं रहता. इसके बाद बीमारियों की एक लंबी कतार लग जाती है. जो अक्सर जंग से ज्यादा विनाशकारी साबित होती है. ये हालात हमें बार-बार याद दिलाते हैं कि, युद्ध कोई समाधान नहीं है. असली जीत तब होगी जब हम इंसानियत और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे, यानी हथियार छोड़कर इंसानियत की तरफ हाथ बढ़ाएंगे.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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