Mohini Ekadashi 2025 Vrat: वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस एकादशी पर भगवान विष्णु ने सुंदर अप्सर मोहिनी का रूप धारण किया था. धार्मिक मान्यता के अनुसार मोहिनी एकादशी पर व्रत रखने और विधि-विधान से श्रीहरि की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
बता दें कि मोहिनी एकादशी का व्रत आज गुरुवार 8 मई 2025 को रखा गया है. गुरुवार का दिन पड़ने से इस एकादशी का महत्व कई गुणा बढ़ जाएगा, क्योंकि एकादशी और गुरुवार दोनों ही तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है. जान लीजिए कि मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे रखते हैं और इस एकादशी के क्या लाभ है?
मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे रखते हैं
कोई भी व्रत या उपवास का तभी संपन्न और सफल होता है जब वह पूरे विधि-विधान और नियमानुसार किया जाए. अगर आप मोहिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो यह जान लीजिए कि इस एकादशी के व्रत में किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है. व्रत में आपको कौन सी चीजे खानी चाहिए और कौन सी नही खानी चाहिए.
- मोहिनी एकादशी के दिन आपको स्नान के दौरान साबुन या शैम्पू का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आप केवल सादे पानी से ही स्नान कर लें.
- मोहिनी एकादशी के दिन वैसे तो निर्जला उपवास रखने का महत्व है. लेकिन यदि आप शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है या किसी कारण निर्जला व्रत नहीं रख सकते तो फलाहार या जलाहार भी किया जा सकता है.
- व्रत के दौरान आप मौसमी फल, आलू, मूंगफली, सिंघाड़े, कटु के आटे की बनी रोटियां या पूरी, दूध-दही जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं.
- भूलकर भी मोहिनी एकादशी के दिन चावल, मसूर की दाल, तामसिक भोजन, बैंगन, गाजर, शलजम जैसी चीज का भोजन में उपयोग नहीं करना चाहिए.
- मोहिनी एकादशी के दिन कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए. साथ ही दूसरों के घर का दिया हुआ कुछ भी एकादशी के दिन न खाएं.
मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ
- मोहिनी एकादशी के व्रत से जन्म जन्मांतर के पाप कर्मों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इस दिन पूजा करने और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते चढ़ाने से धन-धान्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
- एकादशी के व्रत से करियर, कारोबार, संबंध और सेहत से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
- हजार गायों के दान और सौ यज्ञों के बाद जो पुण्य मिलता है, वही पुण्य मोहिनी एकादशी के व्रत से मिलता है.
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