Mock Drill in Gorakhpur: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर हुए ऑपरेशन सिंदूर में कई आतंकी मारे गए हैं. ऐसे में सुरक्षा उपाय को देखते हुए यूपी के गोरखपुर के लोगों के लिए बुधवार 7 मई 2025 का दिन खास रहा. लोगों ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के हालात में गोरखपुर में किए गए ब्लैक आउट (प्रकाश प्रतिबंध) को महसूस किया. युद्ध के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए गोरखपुर के अलग-अलग स्कूल-कॉलेज और स्थानों पर गोरखपुर के तारामंडल में नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) की ओर से युद्ध के हालात में खुद की सुरक्षा, बम बार्डिंग के समय घायलों के रेस्क्यू और लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए मॉक ड्रिल किया गया.
7 बजते ही बिजली गुल
गोरखपुर के रामगढ़ ताल स्थित महंत दिग्विजय नाथ पार्क समेत तारामंडल सर्किट हाउस समेत पूरे शहर में बुधवार की शाम रोज की तरह सामान्य नहीं थी. शाम के 7 बजते ही पूरे गोरखपुर में बिजली गुल हो गई. अभी कोई कुछ समझ पाता तब तक नागरिक सुरक्षा के सायरन की आवाज चारों तरफ गूंज उठी. नागरिक सुरक्षा के वार्डेन सड़कों पर दिखाई देने लगे. वार्डेन पब्लिक अनाउंस सिस्टम से लोगों से आग्रह कर रहे थे कि किसी प्रकार की भी लाइट या रौशनी चालू न रह जाए. अभी लोग समझ पाते कि लड़ाकू विमान की गरज से पूरे इलाके के लोग सहम गए. रामगढ़ताल क्षेत्र के ऊपर से कई बार लड़ाकू विमान के गुजरने और नागरिक सुरक्षा के सायरन सुन किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सताने लगी. इसी बीच नागरिक सुरक्षा के वार्डेन, फायर टीम, पुलिस के जवान महन्त दिग्विजय नाथ पार्क, सर्किट हाउस व एनेक्सी भवन की तरफ दौड़े. वहां से हमले के बाद आग लगने व लोगों के घायल होने की सूचना मिली थी.
आपातकाल की तैयारी
ये हवाई हमले से बचाव का ब्लैकआउट (प्रकाश प्रतिबंध) अभ्यास था. इस अभ्यास के दौरान संवेदनशील क्षेत्र में नागरिक सुरक्षा विभिन्न विभागों के साथ संयुक्त तौर पर आपातकाल के समय बचाव की तैयारी को परखता है. उस क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया जाता है. जब तक कि हमले का खतरा टल जाने का सायरन दोबारा ध्वनित न कर दिया जाए. इस दौरान लाइट बंद कर दी जाती हैं, जिससे हवाई हमले करने वाले लड़ाकू विमान के पायलट आबादी वाले इलाकों या यूं कहें कि शहर के लोकेशन को लेकर भ्रमित हो जाएं.
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