India-Pakistan Tension: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है. इस बीच पाकिस्तान ने तत्काल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से क्लोज-डोर मीटिंग बुलाने की मांग की थी, जो आखिर में कंसल्टेशन रूम में आयोजित की गई. इस मीटिंग का मकसद दक्षिण एशिया में बढ़ रहे सैन्य तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक रास्ता खोजना था.
UN में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने इस मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि UNSC की मीटिंग से जो हासिल करने का मकसद था, वह पूरा हुआ है. उन्होंने बताया कि बैठक में जम्मू और कश्मीर मसले को हल करने पर चर्चा की गई. काउंसिल के कई सदस्यों ने इस बात को दोहराया कि विवाद को संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुसार शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए.
भारत के कदमों पर जताई गई चिंता
इफ्तिखार ने कहा कि पाकिस्तान ने यूएन को भारत के 23 अप्रैल के एकतरफा कदमों सैन्य निर्माण, आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति को लेकर अपनी चिंता से अवगत कराया. पाकिस्तान ने ये दलील की भारत के आक्रमक रुख न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाला है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन किया है.
सिंधु जल संधि पर भारत का रुख और पाक की प्रतिक्रिया
भारत ने 23 अप्रैल को पांच बड़े फैसले लिए, जिनमें से एक महत्वपूर्ण फैसला था सिंधु जल संधि को निलंबित करना. यह फैसला पाकिस्तान के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है, क्योंकि पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इस संधि पर निर्भर करता है. इस निर्णय के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दो बार यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से बात की और आग्रह किया कि भारत की इस आर्थिक चोट पहुंचाने वाली रणनीति को रोका जाए.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस मीटिंग में हालांकि कोई औपचारिक प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, लेकिन कई सदस्यों ने कूटनीतिक समाधान की मांग की. असीम इफ्तिखार ने दावा किया कि बैठक के दौरान यह बात स्वीकार की गई कि क्षेत्रीय स्थिरता सिर्फ सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और संवाद से ही संभव है.
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