भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) के अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इंडिया में इनसॉलवेंसी के मौजूदा नियमों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में दिए अपने फैसले में 19,000 करोड़ रुपये में बीपीएसएल के अधिग्रहण को खारिज कर दिया है। यह अधिग्रहण जेएसडब्ल्यू स्टील ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत किया था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने बीपीएसएल के लिक्विडेशन का भी आदेश दिया है।
IBC के प्रोसेस पर सवालिया निशान
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के आदेश से न सिर्फ यह डील रद्द हो गई है बल्कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के प्रोसेस पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इससे अदालत के लंबे हो रहे हाथ पर भी सवालिया निशान लग गए हैं। आइए इस पूरे मामले और इस मामले से में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के असर को समझते हैं।
IBC से जुड़े दूसरे मामलों पर भी असर
IBC 2016 में लागू हुआ था। कंपनियों के रिजॉल्यूशन प्रोसेस को आसान बनाने, कंपनी में फंसे बैंकों के पैसे की रिकवरी और मार्केट आधारित रिस्ट्रक्चरिंग को आसान बनाना इसका मकसद था। सुप्रीम कोर्ट ने JSW Steel के रिजॉल्यूशन प्लान को एप्रूव करने वाले NCLT और NCLAT के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (Coc) और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (PR) ने भी अपनी ड्यूटी नहीं निभाई। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर IBC से जुड़े दूसरे मामलों पर भी पड़ेगा।
कोर्ट ने CoC के एप्रूवल को गलत माना
देश के सबसे बड़े कोर्ट का IBC के सेक्शन 30(2) और 31(2) का इस्तेमाल करना न्यायपालिका की बढ़ती निगरानी के लिहाज से एक मिसाल है। इस सेक्शन में रिजॉल्यूशन प्लान की जांच करने की RP की ड्यूटी का उल्लेख है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में रिजॉल्यूशन प्लान को CoC के एप्रूवल को गलत माना गया है। कोर्ट ने कहा है कि यह IBC के प्रावधानों के खिलाफ है। कोर्ट ने JSW Steel पर एप्रूवल प्लान को जानबूझकर दो साल तक लटकाए रखने का भी आरोप लगाया है। इससे IBC के उद्देश्य को झटका लगा।
लिक्विडेशन में रिकवरी कम होती है
सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल और CoC क्रेडिटर्स (लोन देने वाले) के हितों की रक्षा करने में नाकाम रहे। इससे इनसॉल्वेंसी प्रोसेस को लेकर बड़ी चिंता पैदा होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के लिक्विडेशन का भी आदेश दिया है। आम तौर पर कंपनी के रिजॉल्यूशन की जगह उसके लिक्विडेशन में रिकवरी कम रहती है। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का खामियाजा बैंकों को भी भुगतना पड़ेगा।
कर्ज देने वाले बैंकों की बढ़ेगी दिक्कत
BPSL को कर्ज देने वाले बैंक (वित्तीय संस्थान) पहले ही अपने पैसे की रिकवरी के लिए लंबा संघर्ष कर चुके हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनकी मुश्किल और बढ़ जाएगी। देश की सबसे बड़ी अदालत के इस आदेश से इनवेस्टर्स अपने पैसे की रिकवरी के लिए आईबीसी का रास्ता अपनाने से पहले दो बार सोचेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद JSW Steel के शेयरों में 5.5 फीसदी तक की गिरावट आई। यह मामला उन कंपनियों को भी सावधानी बरतने को मजबूर करेगा जो मुश्किल में फंसी किसी कंपनी के एसेट्स को खरीदने में दिलचस्पी दिखाती हैं। इससे IBC के उद्देश्य को भी बड़ा झटका लगा है।
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JSW Steel के शेयर गिरे
जेएसडब्ल्यू स्टील के शेयरों में 5 मई को गिरावट देखने को मिली। करीब 2 बजे दिन में कंपनी का शेयर 1.05 फीसदी गिरकर 963.70 रुपये पर चल रहा था। बीते एक हफ्ते में यह स्टॉक करीब 9 फीसदी गिरा है। बीते एक साल में इस स्टॉक ने 9.40 फीसदी रिटर्न दिया है।
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