Gujarat Latest News: 1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के दौरान गुजरात के भुज की महिलाओं ने भी अपने देश की रक्षा के लिए अहम योगदान दिया था. भुज की महिलाओं के एक ग्रुप ने पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद क्षतिग्रस्त भारतीय वायु सेना (IAF) हवाई पट्टी को फिर से मरम्मत करके पाकिस्तान को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उसी समूह की महिलाओं में शामिल रहीं कानबाई शिवजी हिरानी ने अपनी यादों को शेयर करते हुए अनुभव बताए हैं.
साथ ही उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से पाकिस्तान के ऊपर कार्रवाई की अपील की. उन्होंने कहा, ”अभी पाकिस्तान वालों ने जो किया है, वो बहुत ही गलत है. पीएम मोदी को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. पाकिस्तान को पानी और खाद्य आपूर्ति बंद करनी चाहिए. पाकिस्तान वाले जब भूखे मरेंगे और सड़क पर भीख मांगेंगे, तब उन्हें मालूम पड़ेगा.”
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कानबाई शिवजी हिरानी ने अपनी यादों और अनुभवों को शेयर करते हुए कहा, “रनवे को जल्द बनाना संभव नहीं था, लेकिन हमने इसे मेहनत करके संभव बनाया, क्योंकि यह देश का मामला था. जब हमने युद्ध जीता, तो हम बहुत खुश थे.”
#WATCH | Bhuj, Kutch, Gujarat: During the 1971 Indo-Pakistani War, a group of women of Bhuj played an essential role in defeating Pakistan by rebuilding the damaged Indian Air Force (IAF) airstrip after Pakistani air strikes.
Kanbai Shivji Hirani, one of the women from that… pic.twitter.com/0FvcPiNBgj
— ANI (@ANI) May 5, 2025
भारत को बचाने के लिए रनवे बनाया- कानबाई शिवजी हिरानी
उन्होंने अपनी यादों को तरोताजा करते हुए कहा, ”जब 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तो उस वक्त मेरी उम्र 24 साल की थी. हमलोगों को पूछा गया था कि क्या तुम काम करने चलोगी, ऐसा काम है. रनवे बनाना है. हमने कहा कि भारत को बचाना है तो हम चलेंगे. पहले दिन 30-35 महिलाएं गईं. दूसरे दिन और महिलाओं की संख्या और बढ़ी. धीरे-धीरे बड़ी संख्या में महिलाएं वहां काम करने के लिए गईं. पहले दिन तो हमें कुछ नहीं मिला. वहां पानी गर्म था, वही पीती थी. खाना नहीं मिलता था. बाद में किसी तरह से खाना लाया गया.”
‘रनवे पर आठवें दिन प्लेन उड़ना शुरू हो गया था’
हिरानी ने कहा, ”सुबह सात बजे से लगती थी और शाम को 7 बजे घर लौटती थी. हमें बोला गया था कि पहला सायरन बजे तो तुमलोग छिप जाना. दूसरा सायरन बजने पर बाहर निकलकर काम पर लग जाना. पाकिस्तान का प्लेन आता था तो हमें छिपने के लिए सायरन बजाया जाता था. हम सभी ऐसा ही करते थे. हमलोग अपनी जान को जोखिम में डालकर भारत मां को बचाने के लिए काम कर रहे थे. ग्रीन कलर का कपड़ा पहनकर जाती थी. एक-एक रुपये जुटाकर हमलोगों ने भारत मां के लिए काम किया. रनवे को हमसभी ने मिलकर ठीक कर दिया और आठवें दिन प्लेन उड़ना शुरू हो गया. उन सब बातों को याद करके आज भी बहुत खुशी होती है.
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