
बगलामुखी जयंती वैशाख शुक्ल की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. मां बगलामुखी 10 महाविद्याओं में आठवीं देवी हैं, जोकि माता पार्वती के उग्र स्वरूप में पूजी जाती है. इनकी पूजा से नकारात्मकता का नाश होता है.

मां बगलामुखी को लेकर कहा जाता है कि, ये इतनी शक्तिशाली हैं कि यदि संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्तियां भी मिल जाए तो मां बगलामुखी का मुकाबला नहीं कर सकतीं. मां बगलामुखी को पीला रंग अतिप्रतिय है, जिस कारण मां को पीताम्बरी भी कहा जाता है. इसलिए मां बगलमुखी की पूजा में पीले रंग की चीजें जैसे पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले भोग आदि चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं.

देशभर में मां बगलामुखी के कई मंदिर है. लेकिन तीन ऐसे मंदिर हैं जोकि प्रसिद्ध और प्राचीन है. ये मंदिर दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) में स्थित है. बगलामुखी जयंती पर जानते हैं इन मंदिरों के बारे में.

विश्व का सर्वाधिक प्राचीन बगलामुखी मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेड़ा में है, जहां मां बगलामुखी का दरबार लगता है. यहां मां की स्वयंभू प्रतिमा है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के बारहवें दिन हुई थी.

कांगड़ा हिमाचल प्रदेश में मां बगलामुखी का ऐतिहासिक मंदिर है. सिद्धपीठ मां बगलामुखी के इस मंदिर में भक्त अपने कष्टों के निवारण के लिए आते हैं और पूजा-हवन कराते हैं. नेता-अभिनेता तक इस मंदिर में आते हैं.

मां बगलामुखी के तीन प्रसिद्ध मंदिरों में एक है मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित मां का मंदिर. इसे पीताम्बर देवी के नाम से भी जाता है. देवी बगलामुखी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां कुशल पुजारियों द्वारा अनुष्ठा किए जाते हैं. मां बगलामुखी के इस पीताम्बर पीठ परिसर मे आने वाले भक्तों में भक्ति और श्रद्धा का भाव प्रेरित होता है.
Published at : 05 May 2025 10:44 AM (IST)
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