रक्षामंत्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी: कहा-मेरा दायित्व है कि मैं अपनी सेना के साथ मिलकर देश पर आंख उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दूं

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित ‘सनातन संस्कृति जागरण महोत्सव’ को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, एक लंबे समय से, महाराज जी ने जो आध्यात्मिक ज्योति जलाई है, वह न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी फैली है। इन्होंने यह सिद्ध किया है, कि अध्यात्म कोई साधारण अवधारणा नहीं, बल्कि यह जीवन की परिपूर्णता का मार्ग है। हमारे यहां सत्संग को तो, जीवन मुक्ति से जोड़कर देखा गया है। आज के दौर में, मनुष्य की अधिकांश समस्याओं का समाधान, सत्संग में ही निहित है।

पढ़ें :- पाकिस्तान से तनाव के बीच पीएम मोदी से मिले वायुसेना प्रमुख, तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ भी कर चुके हैं मीटिंग

उन्होंने आगे कहा, जब-जब इस देश को आवश्यकता पड़ी है, तब-तब हमारे संतों ने हमारा मार्गदर्शन किया है। हमारे संतों ने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया भर में अपना प्रकाश फैलाया है। भारत वह भूमि है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने विचारों से सींचा है। यह बिल्कुल सत्य बात है। लेकिन इसके साथ-साथ, यह भी सत्य है कि भारत की आत्मा यदि ऋषियों ने रची है, तो उस आत्मा की रक्षा हमारे वीरों ने की है। जहां एक तरफ, हमारे संत संस्कृति की रक्षा करते हैं तो वही दूसरी तरफ हमारे सैनिक, हमारे सीमाओं की रक्षा करते हैं। जहां एक तरफ हमारे संत, जीवन भूमि में लड़ते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हमारे सैनिक रण भूमि में लड़ते हैं।

एक रक्षा मंत्री के रूप में मेरा दायित्व है, कि मैं अपने सैनिकों के साथ मिलकर देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करूं। मेरा यह दायित्व है कि मैं अपनी सेना के साथ मिलकर देश पर आंख उठाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दूं। भारत की शक्ति केवल उसकी सैन्य ताकत में नहीं, बल्कि उसकी संस्कृति और अध्यात्म में भी है। इतिहास साक्षी है, कि भारत के संतों ने केवल आध्यात्मिक उपदेश ही नहीं दिए, बल्कि समाज सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीय एकता के लिए भी अग्रणी भूमिका निभाई है। आप सब तो जानते ही हैं, कि प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश को, 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। स्वाभाविक है कि यह लक्ष्य कोई छोटा लक्ष्य नहीं है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हमें हर तरह से मजबूत होना होगा।

रक्षामंत्री ने आगे कहा, हमें यह भी ध्यान रखना है, कि सही मायने में हम एक विकसित राष्ट्र तभी होंगे, जब हम इन चीजों के साथ-साथ नैतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त होंगे। भारत में अध्यात्म और आधुनिकता का तालमेल कोई नई बात नहीं है। हम शायद दुनिया में एक मात्र ऐसे देश हैं, जिसने भौतिकता और धर्म के बीच में संतुलन बनाकर रखा है। हमारे पूर्वजों ने यदि दुनिया को दर्शनशास्त्र दिया, तो उसके साथ-साथ गणित भी दिया। हमारे पूर्वजों ने दुनिया को यदि योग दिया, तो उसके साथ-साथ आयुर्वेद भी दिया। भारत का दृष्टिकोण हमेशा से science with consciousness का रहा हैं।

 

पढ़ें :- पीएम मोदी से मिले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पहलगाम आतंकी हमले के बाद के हालात पर चर्चा

Read More at hindi.pardaphash.com