Bada Mangal 2025 Huge crord of devotees in Purana Hanuman Mandir Lucknow

लखनऊ के अलीगंज में स्थित पुराना हनुमान मंदिर शहर के सबसे प्रसिद्ध और पुराने हनुमान जी के मंदिरों में से एक गिना जाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर भी है. इसके ऊपर चांद और तारे का निशान है, इसलिए इसे चांद तारा मंदिर भी कहा जाता है. अलीगंज में दो मुख्य हनुमान मंदिर हैं-पुराना हनुमान मंदिर और नया हनुमान मंदिर. दोनों मंदिरों का धार्मिक महत्व है. हालांकि, पुराना हनुमान मंदिर अधिक शांत वातावरण वाला है और यहां भक्तों को शांति का अनुभव होता है. यह कपूरथला चौराहे से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित है.

लखनऊ के अलीगंज में स्थित पुराना हनुमान मंदिर शहर के सबसे प्रसिद्ध और पुराने हनुमान जी के मंदिरों में से एक गिना जाता है. यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर भी है. इसके ऊपर चांद और तारे का निशान है, इसलिए इसे चांद तारा मंदिर भी कहा जाता है. अलीगंज में दो मुख्य हनुमान मंदिर हैं-पुराना हनुमान मंदिर और नया हनुमान मंदिर. दोनों मंदिरों का धार्मिक महत्व है. हालांकि, पुराना हनुमान मंदिर अधिक शांत वातावरण वाला है और यहां भक्तों को शांति का अनुभव होता है. यह कपूरथला चौराहे से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित है.

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पहला बड़ा मंगल 13 मई 2025 को होगा.जो ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को मनाया जाता है, इस मंदिर में विशेष महत्व रखता है. बड़ा मंगल के दिन यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना, सुंदरकांड पाठ और बड़े स्तर पर भंडारे और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाता है.

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पहला बड़ा मंगल 13 मई 2025 को होगा.जो ज्येष्ठ महीने के हर मंगलवार को मनाया जाता है, इस मंदिर में विशेष महत्व रखता है. बड़ा मंगल के दिन यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना, सुंदरकांड पाठ और बड़े स्तर पर भंडारे और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाता है.

मंदिर की वास्तुकला बहुत आकर्षक है. इसमें तीन प्रवेश द्वार हैं. मुख्य द्वार पर ऋषि-मुनियों, भगवान गणेश और भारत माता की सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं. मंदिर के अंदर भगवान हनुमान जी की भगवा रंग की सुंदर मूर्ति स्थापित है. मंदिर का गुंबद इस्लामी वास्तुकला से मिलता-जुलता है जो इसे अनोखा बनाता है.

मंदिर की वास्तुकला बहुत आकर्षक है. इसमें तीन प्रवेश द्वार हैं. मुख्य द्वार पर ऋषि-मुनियों, भगवान गणेश और भारत माता की सुंदर मूर्तियां बनी हुई हैं. मंदिर के अंदर भगवान हनुमान जी की भगवा रंग की सुंदर मूर्ति स्थापित है. मंदिर का गुंबद इस्लामी वास्तुकला से मिलता-जुलता है जो इसे अनोखा बनाता है.

इस मंदिर का निर्माण लगभग 500 साल पहले हुआ माना जाता है. कहा जाता है कि नवाब मोहम्मद अली शाह की पत्नी बेगम रबीया को स्वप्न में हनुमान जी की मूर्ति दिखी. उन्होंने मूर्ति को खोज कर मंदिर में स्थापित करवाया. बाद में नवाब ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.

इस मंदिर का निर्माण लगभग 500 साल पहले हुआ माना जाता है. कहा जाता है कि नवाब मोहम्मद अली शाह की पत्नी बेगम रबीया को स्वप्न में हनुमान जी की मूर्ति दिखी. उन्होंने मूर्ति को खोज कर मंदिर में स्थापित करवाया. बाद में नवाब ने इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.

कथा के अनुसार, जब बेगम रबीया ने भगवान हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करवाई, तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसके बाद नवाब ने मंदिर के ऊपर चांद और तारा का चिन्ह लगवाया. आगे चलकर 1966 में लखनऊ के बनारसी दास कपूर चंद अग्रवाल जी ने मंदिर का पुनर्निर्माण और सुधार करवाया.

कथा के अनुसार, जब बेगम रबीया ने भगवान हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना करवाई, तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इसके बाद नवाब ने मंदिर के ऊपर चांद और तारा का चिन्ह लगवाया. आगे चलकर 1966 में लखनऊ के बनारसी दास कपूर चंद अग्रवाल जी ने मंदिर का पुनर्निर्माण और सुधार करवाया.

बड़ा मंगल लखनऊ की खास परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति मिलती है. पुराना हनुमान मंदिर इस परंपरा का केंद्र है. यहां हर बड़ा मंगल को भक्तों के लिए विशाल भंडारे आयोजित होते हैं, जिसमें श्रद्धालु सेवा भावना से भाग लेते हैं.

बड़ा मंगल लखनऊ की खास परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति मिलती है. पुराना हनुमान मंदिर इस परंपरा का केंद्र है. यहां हर बड़ा मंगल को भक्तों के लिए विशाल भंडारे आयोजित होते हैं, जिसमें श्रद्धालु सेवा भावना से भाग लेते हैं.

Published at : 04 May 2025 03:35 PM (IST)

\

ऐस्ट्रो फोटो गैलरी

ऐस्ट्रो वेब स्टोरीज

Read More at www.abplive.com