Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद सभी जेहन में ये सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर आतंकी कहां गायब हो गए हैं. आतंकी हाशिम मूसा और उसके साथियों को जमीन खा गई या आसमान निगल गया. लेकिन एबीपी न्यूज आज आपको बताने जा रहा है कि आखिर हाशिम मूसा और उसके साथी कहां छिपे हैं.
एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी आतंकी हाशिम मूसा और उसके साथ पहलगाम में बैसरन घाटी में नरसंहार को अंजाम देने के बाद कश्मीर के जंगलों में जाकर छिप गए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि दस दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, वे फिर जंगल में कैसे ट्रैक कर रहे हैं, क्योंकि आतंकी किसी भी तरह का मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जिससे उन्हें ट्रैक किया जा सके.
सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का शक
सुरक्षा एजेंसियों को पूरा शक है कि आतंकी मूसा और उसके साथी यूरोप का ‘अल्पाइन’ नेविगेशन ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं, जो बिना इंटरनेट और जीपीएस के जंगलों में ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है. करीब एक साल पहले भी आतंकियों का एक ग्रुप जब एलओसी से घुसपैठ कर जम्मू कश्मीर की सीमा में दाखिल हुआ था, तो ग्रुप अल्पाइन ऐप इस्तेमाल कर रहे थे.
जानें कैसे काम करता है ये ऐप
‘अल्पाइन क्वेस्ट’ नाम के ये ऐप फ्रांस का है और आतंकी इसका इस्तेमाल एलओसी पर घुसपैठ करने के लिए इस्तेमाल करते आए थे. लेकिन हाशिम मूसा और उसके साथी जम्मू कश्मीर के जंगलों में भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. आतंकियों को आईएसआई ने ये एप उपलब्ध कराया है, जो ऑफलाइन भी काम करता है .
ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पीछे एक और वजह है क्योंकि आतंकी अब स्थानीय (गाइड्स) लोगों पर थोड़ा कम निर्भर होना चाहते हैं.
साथ ही ओवरग्राउंड वर्कर्स की मदद से योजनाएं लीक होने का भी खतरा है, क्योंकि सुरक्षाबलों की जबरदस्त नेटवर्किंग के चलते आतंकी वारदातों को अंजाम दिए जाने से पहले ही ध्वस्त कर दिया जा रहा था.
दरअसल किसी भी जगह की लोकेशन और दिशा पता करने के लिए जिस गूगल मैप की आवश्यकता होती है, वो इंटरनेट से चलता है. लेकिन ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आने का खतरा रहता है. अल्पाइन क्वेस्ट बिना इंटरनेट के एक्सेस किया जा सकता है.
इंटरनेट और लोकेशन इस्तेमाल न किए जाने के कारण सुरक्षाबलों को आतंकियों को ट्रैक करने में दिक्कत आती है. गूगल मैप की तरह लोकेशन बताने का काम करने वाले अल्पाइन क्वेस्ट एप्प के जरिए पहाड़, जंगल और नदी का रास्ता आसानी से तलाशा जा सकता है, वो भी बिना इंटरनेट के.
चीनी ऐप का इस्तेमाल करते हैं आतंकी
जानकारी ये भी है कि आतंकी एक चीनी मिलिट्री कम्युनिकेशन डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हैं जो बहुत संभव है कि चीनी सेना ने पाकिस्तानी सेना को दी होगी और अब आईएसआई के जरिए आतंकियों तक पहुंच गई है.
दुनियाभर के एडवांस आर्मी इस डिवाइस का इस्तेमाल करती हैं ताकि वॉर-जोन से कम्युनिकेशन के साथ-साथ वीडियो तक भी कमांड सेंटर तक भेजे जा सके. इन डिवाइस को बिना इंटरनेट के इस्तेमाल किया जाता है. माना जा रहा है कि इस चीनी डिवाइस के जरिए ही आतंकी, पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में हो सकते हैं.
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